Thursday, 30 January 2014

chanakya niti


जब किसी स्त्री या पुरुष को परखना हो तो ध्यान रखें ये चाणक्य नीति


जब किसी स्त्री या पुरुष को परखना हो तो ध्यान रखें ये चाणक्य नीति



आचार्य चाणक्य कहते हैं-
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षेत्र शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बांधव:।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में 6 बातें ऐसी बताई हैं, जिनसे हम अपने और पराए लोगों की पहचान कर सकते हैं।
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति आपकी बीमारी में, दुख में, दुर्भिक्ष में, शत्रु द्वारा कोई संकट खड़ा करने पर, शासकीय कार्यों में, शमशान में ठीक समय पर आ जाए वही इंसान आपका सच्चा हितैषी हो सकता है।सामान्यत: ऐसा देखा जाता है कि व्यक्ति ज्यादा अच्छी वस्तु प्राप्त करने के लिए जो उसके पास है उसे छोड़कर दूसरी की ओर भागता है। इस परिस्थिति में दोनों ही वस्तुएं उसके हाथों से निकल जाती है। ऐसी परिस्थितियों के संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।
इस श्लोक का अर्थ है कि जो व्यक्ति निश्चित वस्तुओं को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर भागता है उसके हाथों से दोनों ही वस्तुएं निकल जाती है। अत: जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की गलतियां हमें नहीं करना चाहिए।
 कुछ लोग गुण के धनी होते हैं। कुछ लोग धन के धनी होते हैं। जो धन के धनी होते हुए भी गुणों के कंगाल हैं, ऐसे व्यक्तियों का साथ तुरंत छोड़ देना चाहिए।
- इस जीवन का कोई ठिकाना नहीं है। जिस काम को करने के बाद खाट में बैठकर पछताना पड़े ऐसे काम को पहले से ही नहीं करना चाहिए।
- समुद्र में गिरी हुई वस्तु नष्ट हो जाती है। जो सुनता नहीं है उससे कही हुई बात नष्ट हो जाती है। अजितेंद्रिय पुरुष बिना वजह कलह करना मूर्खों का काम है। बुद्धिमान लोगों को इससे बचना चाहिए। ऐसा करके वे लोक में यश पाते हैं और अनर्थ से बच जाते हैं।
- मित्र तो ऐसा होना चाहिए जो कृतज्ञ, धार्मिक, सच बोलने वाला, उदार, अनुराग रखने वाला, दृढ़, जितेंद्रिय और मर्यादा के अंदर रहने वाला हो।
- जो अधर्म से कमाए हुए धन से परलोक साधन यज्ञादि कर्म करता है, वह मरने के बाद उसके फल को नहीं पाता है। क्योंकि उसका धन अधर्म से कमाया होता है।
 आग में जल रहे मृत पुरुष के पीछे तो सिर्फ उसका भला या बुरा कर्म ही जाता है। इसलिए पुरुषों को चाहिए कि वे धीरे-धीरे प्रयत्नपूर्वक धर्म का संग्रह करें।
- जो व्यक्ति अधर्म से मिली बड़ी से बड़ी धन राशि को भी छोड़ देता है। वह जैसे सांप अपनी केंचुली को छोड़ता है उसी तरह दुख से मुक्त हो सुखपूर्वक सोता है।
- दो काम करने वाला मनुष्य इस लोक में प्रसिद्ध हो जाता है। पहला किसी भी व्यक्ति से कठोर वचन न कहना। दूसरा, दुष्टजनों से दूर रहना।




Gupt Navratri 31-1-2014 se 8-2-2014

Gupt Navratri  31-1-2014 se  8-2-2014

                
  माघ मास की 

             गुप्त नवरात्रि कल से






हिंदू धर्म के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है लेकिन आमजन केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ माघ शुक्ल प्रतिपदा यानी कल से (31 जनवरी, शुक्रवार) हो रहा है, इस नवरात्रि का समापन 8 फरवरी, शनिवार को होगा। 
इस नवरात्रि में भी मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का पूजन किया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन (31 जनवरी, शुक्रवार) मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन (1 फरवरी, शनिवार) मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन (2 फरवरी, रविवार) माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है।
माघ मास की गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन (3 फरवरी, सोमवार) की प्रमुख देवी मां कुष्मांडा हैं। देवी कुष्मांडा रोगों को तुरंत की नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है।
गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन (4 फरवरी, मंगलवार) स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जानते हैं। पांचवे दिन इस शक्ति की उपासना होती है
गुप्त नवरात्रि के छठे दिन (5 फरवरी, बुधवार) आदिशक्ति श्री दुर्गा का छठे रूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। 
नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है।
महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन (6 फरवरी, गुरुवार) मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। 
मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए।
माघ मास की गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन (7 फरवरी, शुक्रवार) मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। 
माघ मास की गुप्त नवरात्रि का समापन 8 फरवरी, शनिवार को होगा। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं

Friday, 24 January 2014

sukhi jivan ka raj --jane kya

                        sukhi jivan  ka raj  --jane kya


                सुखी जीवन  का राज  --जाने कैसे 
खुशहाल कर देता है सुन्दरकांड का यह चमत्कारी उपाय

सुन्दरका ण्ड जीवन सुंदर बना देता है सभी दाम्पत्यजीवन  में रहने वाले जनों को  जो अ पने जीवन  में परेशान है इस सम्पूर्णपाठ या    छोटी-सी स्तुति का श्रद्धा और आस्था से पाठ करें- क्योकि --->

हनुमानजी का दिव्य और संकटमोचक चरित्र श्रीरामचरितमानस सुन्दरका ण्डके में उजागर होता है। इसमें रुद्रावतार श्रीहनुमान के जरिए कर्म, समर्पण, पराक्रम, प्रेम, परोपकार, मित्रता, वफादारी जैसे कई आदर्शों के दर्शन होते हैं। इसलिए सुन्दरकांड का पाठ व्यावहारिक तौर पर भी संकट, विपत्तियों और परेशानियों को दूर करने में बहुत ही असरदार माना जाता है

सुबह स्नान करें औरविचार और व्यवहार की पवित्रता का संकल्प लें

- घर या देवालय में हनुमानजी को चंदन, सुगंधित तेल व सिंदूर, लाल फूल, अक्षत चढ़ाएं। 
- गुग्गल अगरबत्ती या धूप बत्ती और घी के दीप जलाकर पूजा करें। केले, गुड़ या चने का भोग लगाएंइसके बाद सुन्दरकाण्ड की इस छोटी-सी स्तुति का श्रद्धा और आस्था से पाठ करें- 
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
हनुमानजी की इस स्तुति का नित्य पाठ रोजमर्रा के कामों में आने वाली बाधा और परेशानियों को भी दूर कर चिंता और तनाव से बचाती है या यूं कहें कि यह छोटी सी हनुमान स्तुति हर मुश्किलों और मुसीबतों से लडऩे का हौसला ही नहीं देती बल्कि फौरन हर परेशानियों से निजात मिलना भी शुरू हो जाती है।-






















अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
हनुमानजी की इस स्तुति का नित्य पाठ रोजमर्रा के कामों में आने वाली बाधा और परेशानियों को भी दूर कर चिंता और तनाव से बचाती है या यूं कहें कि यह छोटी सी हनुमान स्तुति हर मुश्किलों और मुसीबतों से लडऩे का हौसला ही नहीं देती बल्कि फौरन हर परेशानियों से निजात मिलना भी शुरू हो जाती है। 









इसके बाद सुन्दरकाण्ड की इस छोटी-सी स्तुति का श्रद्धा और आस्था से पाठ करें- 
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
हनुमानजी की इस स्तुति का नित्य पाठ रोजमर्रा के कामों में आने वाली बाधा और परेशानियों को भी दूर कर चिंता और तनाव से बचाती है या यूं कहें कि यह छोटी सी हनुमान स्तुति हर मुश्किलों और मुसीबतों से लडऩे का हौसला ही नहीं देती बल्कि फौरन हर परेशानियों से निजात मिलना भी शुरू हो जाती है। 




Monday, 20 January 2014

TEJI aur Mandi

                                                        TEJI  aur  Mandi 


तेजी  और मंदी  20 14 जनवरी फल विचार -----


रुई ,सुत  नारियल   बादाम  सभी प्रकार के फल  खांड तेल चाँदी में तेजी  |
समस्त  धन्य  में मंदी |

23 ता. को सोना चावल सरसों में मंदी  की सम्भावना  यह घट -बढ़  25 ता. चलती रहगी |


यदि  तेजी मंदी   का मासिक फल जानना चाहते तो   इस मो. +91 76 97 96 15 97 पर call  कर सकते है |

Monday, 13 January 2014

bhagya jagaye ek pryog -->nitya kre

भाग्य जगाये एक प्रयोग -->नित्यकरे 
bhagya jagaye ek pryog -->nitya  kre 

       यदि आप अपना भाग्य उदय करना चाहते है तो आपने गुरु का ध्यान


प्रात:काल बि स्तर छोड़ने से पहले करे फिर इष्टदेव का ध्यान करे फिर इस मन्त्र का जपदोनो हाथों के दर्श न करते हुए करना चाहिए|



मन्त्र ----->



कराग्रे वसति लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥
इस मंत्र में बताया गया है कि हमारे हाथों के अग्रभाग (आगे) की ओर महालक्ष्मी का वास होता है। हाथ के मध्यभाग में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में भगवान विष्णु का वास होता है। अत: प्रात:काल दोनो हाथों के दर्शन करना चाहिए।
हाथों के दर्शन करते हुए यहां दिए मंत्र का जप भी करना चाहिए। इसके बाद दोनों हाथों को अपने चेहरे पर फेर लेना चाहिए। यह उपाय चमत्कारिक है। प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हमारे हाथों की हथेलियों में दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। जिनसे में दिनभर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है।
इसी वजह से हमें सुबह उठते ही सबसे पहले अपने हाथों की हथेलियों के दर्शन करने चाहिए। दोनों हाथों को मिलाकर उसके दर्शन करके ही बिस्तर छोडऩा चाहिए।इसके साथ हीबि स्तर छोड़ते समय भूमि को प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद अपने पैर जमीन पर रखना चाहिए। ऐसा करने पर हमें भूमि से दिनभर काम करने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है और आलस्य और थकान से मुक्ति मिलती है।

Friday, 10 January 2014

chanakya niti


चाणक्यकी ये 6 बातें ध्यान रखेंगे तो नहीं होगा 1 रुपए का भी नुकसान






आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
हौं केहिको का मित्र को, कौन काल अरु देश।
लाभ खर्च को मित्र को, चिंता करे हमेशा।
इस दोहे में आचार्य में बताया है कि व्यक्ति को हमेशा छह बातें सोचते रहना चाहिए। इन बातों का मनन करने से किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। यहां जानिए ये छह बातें कौन सी हैं...
पहली बात
हम यह मालूम होना चाहिए कि अभी समय कैसा है... कोई भी समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान में कैसा समय चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं। दुख के दिनों में धैर्य और 

समझदारी के साथ काम करना चाहिए और सुख के दिनों में लापरवाह नहीं होना चाहिए
दूसरी बात यह है कि हमें मालूम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं और शत्रु कौन? यदि हमें जानकारी होगी कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं, तो निश्चित ही किसी भी प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है। जीवन में कुछ परिस्थितियों में मित्रों के भेष में शत्रु भी आ जाते हैं। जिनसे बचना चाहिए। शत्रुओं को पहचानकर सदैव उनसे सावधान रहने में ही भलाई होती है।
तीसरी बात: व्यक्ति को यह भी मालूम होना चाहिए कि जिस जगह वह रहता है वह कैसी है? वहां का वातावरण कैसा है? वहां का माहौल कैसा है?
जहां हम रहते हैं वहां रहने वाले लोगों के विषय में भी हमें पूरी जानकारी होनी चाहिए। यदि कोई बुरे स्वभाव का व्यक्ति हमारे आसपास है तो उससे सावधान रहें। वातावरण और माहौल का भी ध्यान रखना चाहिए, यदि वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है तो उसका पहले प्रबंध करना चाहिए                                                                      चौथी बात: व्यक्ति को उसकी आय और व्यय की पूरी जानकारी होना चाहिए। व्यक्ति की आय क्या है उसी के अनुसार उसे व्यय करना चाहिए। एक बहुत पुरानी कहावत है कि जितनी लंबी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिएइस बात का सदैव ध्यान रखें कि कभी भी हद से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए।                                                 पाचव बातचाणक्य कहते हैं मझदार इंसाकि सन को मालूम होना चाहिए कि वह कितना योग्य है और वह कौन-कौन से काम कुशलता के साथ कर सकता है। जिन कार्यों में हमें महारत हासिल हो वहीं कार्य हमें सफलता दिला सकते हैं।                                                                                                                         छठी बात यहां बताई गई पांच बातों के साथ ही व्यक्ति को यह भी मालूम होना चाहिए कि उसका गुरु या स्वामी कौन है? और वह आपसे क्या काम करवाना चाहता है? यह मालूम होने पर व्यक्ति वही काम करें जो उसका गुरु या स्वामी चाहता है। ऐसा करने पर व्यक्ति को कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।























Sunday, 5 January 2014

gomati chkr ek chamatkri pather

गोमती चक्रएक चमत्कारीपत्थर
gomati chkr ek chamatkri pather


संडे स्पेशल: ये है खास पत्थर, दूर कर सकता है आपकी हर परेशानी

गोमती चक्रएक चमत्कारीपत्थर होता  है यह भाग्य वृद्धि भी करता एवम अनेक समस्या का निदान करता है 

मनुष्य के जीवन में आए दिन परेशानियां आती रहती है। यदि कुछ साधारण तांत्रिक प्रयोग किए जाएं तो वह समस्याएं शीघ्र ही समाप्त भी हो जाती हैं। तांत्रिक प्रयोग में एक ऐसे पत्थर का उपयोग किया जाता है जो दिखने में साधारण होता है लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से अपना प्रभाव दिखाता है। उस पत्थर का नाम है गोमती चक्र। 
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी में मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यों तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसका तांत्रिक उपयोग बहुत ही सरल होता है। वर्तमान समय में पति-पत्नी में मतभेद होना आम बात है। कभी-कभी यह मतभेद किसी बड़े विवाद का रूप भी ले लेते हैं, ऐसे समय में तीन गोमती चक्र लेकर घर के दक्षिण में हलूं बलजाद कहकर फेंद दें। इस उपाय से पति-पत्नी के बीच हो रहा विवाद खत्म हो जाएगा।कोर्ट-कचहरी में चल रहे मुकद्मे में यदि सफलता प्राप्त करनी हो तो कोर्ट- कचहरी जाते समय घर के बाहर गोमती चक्र रखकर उस पर दाहिना पांव रखकर जाए तो उस दिन कोर्ट-कचहरी में सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
 गोमती चक्र को व्यवसाय स्थल के द्वार पर 11 की सख्या में एक कपड़े पर बाध तो कार्यो में वृद्धि होती है |रोगी के पलग में बाधदे  तो रोग  निदान शीघ्र होता है और अनेकप्रयोग शास्त्रों में वर्णित है |
 

Saturday, 4 January 2014

Maker sankrantiparv 14 january 2014

                               मकर संक्रान्ति पर्व                                                                 14 जनवरी 2014  


Maker sankrantiparv  14  january  2014
14 जनवरी: इस दिन धरती पर आएंगे देवी-देवता भी, करिए ये खास उपाय


14 जनवरी 2014 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है तो उसे 'मकर संक्रांन्ति' कहते हैं। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण भी हो जाता है। ग्रंथों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन के समय को देवताओं की रात्रि कहा गया है। इस प्रकार मकर संक्रान्ति देवताओं का प्रभात काल है। 
इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। कहते हैं कि इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर पुन: प्राप्त होता हैमाघे मासि महादेव यो दद्यात् घृतकम्बलम्।
स भुक्त्वा सकलान भोगान् अन्ते मोक्षं च विन्दति।।
माघ मासे तिलान यस्तु ब्राहमणेभ्य: प्रयच्छति।
सर्व सत्त्व समाकीर्णं नरकं स न पश्यति।।  (महाभारत अनुशासनपर्व)
मकर संक्रान्ति के दिन गंगाजल सहित शुद्ध जल से स्नानादि के उपरान्त भगवान चतुर्भुज का पुष्प-अक्षत एंव विभिन्न द्रव्यों के अर्ध्य सहित पूजन करके मंत्र जप विष्णु सहस्त्र नाम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इस दिन घी-तिल-कम्बल-खिचड़ी के दान का विशेष महत्व है। इसका दान करने वाले व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पैसों की तंगी से मुक्ति मिलती है।  इस दान से मोक्ष की प्राप्त होती है।
 मकर संक्रान्ति के दिन गंगा स्नान तथा गंगा तट पर दान की विशेष महिमा है। तीर्थ राज प्रयाग में मकर संक्रान्ति मेला तो सारे विश्व में विख्यात है। इसका वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी श्री रामचरित मानस में लिखा है-
माघ मकर गत रवि जब होई। तीरथ पतिहिं आव सब कोइ।।
देव दनुज किंनर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी।।
स्पष्ट है कि गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर तीर्थ राज प्रयाग में 'मकर संक्रान्ति' पर्व के दिन सभी देवी-देवता अपना स्वरूप बदल कर स्नान के लिए आते हैं। अतएव वहां मकर संक्रान्ति पर्व के दिन स्नान करना अनन्त पुण्यों को एक साथ प्राप्त करना माना जाता है।
मकर संक्रान्ति पर्व पर इलाहाबाद (प्रयाग) के संगम स्थल पर प्रतिवर्ष लगभग एक मास तक माघ मेला लगता है। यहां बारह वर्ष में एक बार कुम्भ मेला लगता है यह भी लगभग एक माह तक रहता है। इसी प्रकार छह वर्षों में अर्ध कुम्भ मेला भी लगता है। मकर संक्रान्ति पर्व प्राय: प्रतिवर्ष 14 जनवरी को पड़ता है।इस वर्ष विक्रम संवत् 2070 में पौष शुक्ला चतुर्दशी मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर भगवान भुवन भास्कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। धर्मशास्त्रीय व्यवस्थाओं के अनुसार मध्याह्न में यदि सूर्य का संक्रमण मकर राशी पर होता है तो उत्तरायण संक्रान्ति का पुण्य काल सूर्योदय से ही माना जाता है। 
'यदा तु सूर्यास्तात्पूर्व संक्रान्ति र्मवति तदोभयगते पूर्वमेव पुण्यकाल: (कालमाधव)
फलस्वरूप मंगलवार 14 जनवरी 2014 को मकर संक्रान्ति सारे देश में मनाई जाएगी। 

Friday, 3 January 2014

chanakya niti: janiya kaisai sunder stri se shadi nhai karna chahiya


चाणक्य नीति: जानिए कैसी सुंदर स्त्री से शादी नहीं करना चाहिए


chanakya niti: janiya kaisai  sunder stri  se shadi nhai karna chahiya

चाणक्य नीति: जानिए कैसी सुंदर स्त्री से शादी नहीं करना चाहिए



चाणक्य कहते हैं
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में विवाह योग्य और विवाह के लिए अयोग्य स्त्रियों की विशेषताएं बताई हैं। समझदार और श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो उच्चकुल यानी संस्कारी परिवार में जन्म लेने वाली सुसंस्कारी कन्या से विवाह कर लेता है।  ऐसे परिवार की कन्या यदि कुरूप भी तो उससे कर लेना चाहिए। विवाह के बाद कन्या के गुण ही परिवार को आगे बढ़ाते हैंपुरुष को विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता और संस्कार देखने चाहिए। यदि कोई कुरूप कन्या संस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, नीच कुल की हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में शुभ रहता है
कोई कन्या सुंदर है, लेकिन वह अधार्मिक चरित्र वाली है तो विवाह के बाद परिवार को तोड़ देती है। ऐसी लड़कियों का स्वभाव व आचरण निम्न ही रहता है। इनसे विवाह करने पर सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है। जबकि धार्मिक और ईश्वर में आस्था रखने वाली संस्कारी कन्या के आचार-विचार भी शुद्ध होंगे जो एक श्रेष्ठ परिवार का निर्माण करने में सक्षम रहती है।सच्चे मित्र ही हमें सभी परेशानियों से बचा लेते हैं और कठिन समय में मदद करते हैं। हमें कैसे मित्र चुनना चाहिए? इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिस व्यक्ति में अपने परिवार का पालन पोषण करने की योग्यता ना हो, जो व्यक्ति अपनी गलती होने पर भी किसी से न डरता हो, जो व्यक्ति शर्म नहीं करता है, लज्जावान न हो, अन्य लोगों के लिए जिसमें उदारता का भाव न हो, जो इंसान त्यागशील नहीं है, वे मित्रता के योग्य नहीं कहे जा सकते है हमें कैसे स्थान को अपना निवास, घर बनाना चाहिए इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने 5 बातें बताई हैं। जिस भी स्थान पर ये बातें उपलब्ध वहां रहना सर्वश्रेष्ठ उपाय है और वहां रहने वाला व्यक्ति हमेशा प्रसन्न रहता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
धनिक: श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:।
पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं वसेत्।।
इसका अर्थ है कि जिस स्थान कोई धनी हो वहां व्यवसाय में बढ़ोतरी होती है। धनी व्यक्ति के आसपास रहने वाले लोगों को भी रोजगार प्राप्त होने की संभावनाएं रहती है।
जिस स्थान पर कोई ज्ञानी, वेद जानने वाला व्यक्ति हो वहां रहने से धर्म लाभ प्राप्त होता है। हमारा ध्यान पाप की ओर नहीं बढ़ता चार्य कहते हैं जहां राजा या शासकीय व्यवस्था से संबंधित व्यक्ति रहता है वहां रहने से हमें सभी शासन की योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है। जिस स्थान पर नदी बहती हो, जहां पानी प्रचुर मात्रा में वहां रहना से हमें समस्त प्राकृतिक वस्तुएं और लाभ प्राप्त होते हैं। अंत पांचवी बात है वैद्य का होना। जिस स्थान पर वैद्य हो वहां रहने से हमें बीमारियों से तुरंत मुक्ति मिल जाती है। अत: आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई ये पांच जहां हो वहां रहना ही लाभकारी रहता है।
ह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता और संस्कार देखने चाहिए। यदि कोई कुरूप कन्या संस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, नीच कुल की हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में शुभ रहता है।