भाग्य जगाये एक प्रयोग -->नित्यकरे
bhagya jagaye ek pryog -->nitya kre
यदि आप अपना भाग्य उदय करना चाहते है तो आपने गुरु का ध्यान
प्रात:काल बि स्तर छोड़ने से पहले करे फिर इष्टदेव का ध्यान करे फिर इस मन्त्र का जपदोनो हाथों के दर्श न करते हुए करना चाहिए|
मन्त्र ----->
bhagya jagaye ek pryog -->nitya kre
यदि आप अपना भाग्य उदय करना चाहते है तो आपने गुरु का ध्यान
प्रात:काल बि स्तर छोड़ने से पहले करे फिर इष्टदेव का ध्यान करे फिर इस मन्त्र का जपदोनो हाथों के दर्श न करते हुए करना चाहिए|
मन्त्र ----->
कराग्रे वसति लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविंद: प्रभाते करदर्शनम्॥
इस मंत्र में बताया गया है कि हमारे हाथों के अग्रभाग (आगे) की ओर महालक्ष्मी का वास होता है। हाथ के मध्यभाग में सरस्वती और हाथ के मूलभाग में भगवान विष्णु का वास होता है। अत: प्रात:काल दोनो हाथों के दर्शन करना चाहिए।
हाथों के दर्शन करते हुए यहां दिए मंत्र का जप भी करना चाहिए। इसके बाद दोनों हाथों को अपने चेहरे पर फेर लेना चाहिए। यह उपाय चमत्कारिक है। प्राचीन ऋषि-मुनियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हमारे हाथों की हथेलियों में दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। जिनसे में दिनभर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है।
इसी वजह से हमें सुबह उठते ही सबसे पहले अपने हाथों की हथेलियों के दर्शन करने चाहिए। दोनों हाथों को मिलाकर उसके दर्शन करके ही बिस्तर छोडऩा चाहिए।इसके साथ हीबि स्तर छोड़ते समय भूमि को प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद अपने पैर जमीन पर रखना चाहिए। ऐसा करने पर हमें भूमि से दिनभर काम करने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है और आलस्य और थकान से मुक्ति मिलती है।
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