Thursday, 30 January 2014

Gupt Navratri 31-1-2014 se 8-2-2014

Gupt Navratri  31-1-2014 se  8-2-2014

                
  माघ मास की 

             गुप्त नवरात्रि कल से






हिंदू धर्म के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है लेकिन आमजन केवल दो नवरात्रि (चैत्र व शारदीय नवरात्रि) के बारे में ही जानते हैं। आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस बार माघ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ माघ शुक्ल प्रतिपदा यानी कल से (31 जनवरी, शुक्रवार) हो रहा है, इस नवरात्रि का समापन 8 फरवरी, शनिवार को होगा। 
इस नवरात्रि में भी मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का पूजन किया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन (31 जनवरी, शुक्रवार) मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन (1 फरवरी, शनिवार) मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।
गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन (2 फरवरी, रविवार) माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है।
माघ मास की गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन (3 फरवरी, सोमवार) की प्रमुख देवी मां कुष्मांडा हैं। देवी कुष्मांडा रोगों को तुरंत की नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है।
गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन (4 फरवरी, मंगलवार) स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जानते हैं। पांचवे दिन इस शक्ति की उपासना होती है
गुप्त नवरात्रि के छठे दिन (5 फरवरी, बुधवार) आदिशक्ति श्री दुर्गा का छठे रूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। 
नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है।
महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन (6 फरवरी, गुरुवार) मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। 
मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए।
माघ मास की गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन (7 फरवरी, शुक्रवार) मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। 
माघ मास की गुप्त नवरात्रि का समापन 8 फरवरी, शनिवार को होगा। गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं

No comments:

Post a Comment