चाणक्यकी ये 6 बातें ध्यान रखेंगे तो नहीं होगा 1 रुपए का भी नुकसान
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
हौं केहिको का मित्र को, कौन काल अरु देश।
लाभ खर्च को मित्र को, चिंता करे हमेशा।
इस दोहे में आचार्य में बताया है कि व्यक्ति को हमेशा छह बातें सोचते रहना चाहिए। इन बातों का मनन करने से किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं। यहां जानिए ये छह बातें कौन सी हैं...
पहली बात
हम यह मालूम होना चाहिए कि अभी समय कैसा है... कोई भी समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान में कैसा समय चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं। दुख के दिनों में धैर्य और
समझदारी के साथ काम करना चाहिए और सुख के दिनों में लापरवाह नहीं होना चाहिए
दूसरी बात यह है कि हमें मालूम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं और शत्रु कौन? यदि हमें जानकारी होगी कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं, तो निश्चित ही किसी भी प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है। जीवन में कुछ परिस्थितियों में मित्रों के भेष में शत्रु भी आ जाते हैं। जिनसे बचना चाहिए। शत्रुओं को पहचानकर सदैव उनसे सावधान रहने में ही भलाई होती है।
तीसरी बात: व्यक्ति को यह भी मालूम होना चाहिए कि जिस जगह वह रहता है वह कैसी है? वहां का वातावरण कैसा है? वहां का माहौल कैसा है?
जहां हम रहते हैं वहां रहने वाले लोगों के विषय में भी हमें पूरी जानकारी होनी चाहिए। यदि कोई बुरे स्वभाव का व्यक्ति हमारे आसपास है तो उससे सावधान रहें। वातावरण और माहौल का भी ध्यान रखना चाहिए, यदि वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं है तो उसका पहले प्रबंध करना चाहिए चौथी बात: व्यक्ति को उसकी आय और व्यय की पूरी जानकारी होना चाहिए। व्यक्ति की आय क्या है उसी के अनुसार उसे व्यय करना चाहिए। एक बहुत पुरानी कहावत है कि जितनी लंबी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिएइस बात का सदैव ध्यान रखें कि कभी भी हद से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए। पाचव बातचाणक्य कहते हैं मझदार इंसाकि सन को मालूम होना चाहिए कि वह कितना योग्य है और वह कौन-कौन से काम कुशलता के साथ कर सकता है। जिन कार्यों में हमें महारत हासिल हो वहीं कार्य हमें सफलता दिला सकते हैं। छठी बात यहां बताई गई पांच बातों के साथ ही व्यक्ति को यह भी मालूम होना चाहिए कि उसका गुरु या स्वामी कौन है? और वह आपसे क्या काम करवाना चाहता है? यह मालूम होने पर व्यक्ति वही काम करें जो उसका गुरु या स्वामी चाहता है। ऐसा करने पर व्यक्ति को कभी भी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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