Monday, 5 December 2016

शनि के जन्म की कहानी


शनि के जन्म की कहानी
shani ke jnm ki kahani



Image result for शनिमहर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति से हुआ जिसके गर्भ से विवस्वान (सूर्य) का जन्म हुआ। सूर्य का विवाह त्वष्टा की पुत्री संज्ञा से हुआ। सूर्य व संज्ञा के संयोग से वैवस्वत मनु व यम दो...पुत्र तथा यमुना नाम की कन्या का जन्म हुआ। संज्ञा अपने पति के अमित तेज से संतप्त रहती थी। सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन  न कर पाने पर उसने अपनी छाया को अपने ही समान बना कर सूर्य के पास छोड़ दिया और स्वयम पिता के घर आ गई। पिता त्वष्टा को यह व्यवहार उचित नहीं लगा और उन्होंने संज्ञा को पुनः सूर्य के पास जाने का आदेश दिया।   संज्ञा ने पिता के आदेश की अवहेलना की और घोड़ी का रूप बना कर कुरु प्रदेश के वनों में जा कर रहने लगी।  धर सूर्य संज्ञा की छाया को ही संज्ञा समझते रहे। कालान्तर में संज्ञा के गर्भ से भी सावर्णि मनु और शनि दो पुत्रों का जन्म हुआ। छाया शनि से बहुत स्नेह करती थी और संज्ञा पुत्र वैवस्वत मनु व यम से कम।  एक बार बालक यम ने खेल-खेल में छाया को अपना चरण दिखाया तो उसे क्रोध आ गया और उसने यम को चरण हीन होने का शाप दे दिया। बालक यम ने डर कर पिता को इस विषय में बताया तो उन्हों ने शाप का   परिहार बता दिया और छाया संज्ञा से बालकों के बीच भेदभाव पूर्ण व्यवहार करने का कारण पूछा। सूर्य के भय से छाया संज्ञा ने सम्पूर्ण सत्य प्रकट कर दिया।   संज्ञा के इस व्यवहार से क्रोधित हो कर सूर्य अपनी ससुराल में गए। ससुर त्वष्टा ने समझा बुझा कर अपने दामाद को शांत किया और कहा,' आदित्य ! आपका तेज सहन न कर सकने के कारण ही संज्ञा ने यह अपराध किया है    और घोड़ी के रूप में वन में भ्रमण कर रही है। आप उसके इस अपराध को क्षमा करें और मुझे अनुमति दें कि मैं आपके तेज को काट-छांट कर सहनीय व मनोहर बना दूं। अनुमति मिलने पर त्वष्टा ने सूर्य के तेज को काट-छांट दिया और विश्वकर्मा ने उस छीलन से भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माण किया। मनोहर रूप हो जाने पर सूर्य संज्ञा को ले कर अपने स्थान  पर आ गए। बाद में संज्ञा ने नासत्य और दस्र नामक अश्वनी कुमारों को जन्म दिया। यम की घोर तपस्या से प्रसन्न हो कर महादेव ने उन्हें पितरों का आधिपत्य दिया और धर्म अधर्म के निर्णय करने का अधिकारी बनाया। .यमुना व ताप्ती नदी के रूप में प्रवाहित हुई। शनि को नवग्रह मंडल में स्थान दिया गया।  

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