Friday, 22 December 2017

नवग्रह शांति यंत्र जीवन में समृद्धि, प्रसन्नता और सफलता देता है

नवग्रह शांति यंत्र जीवन में समृद्धि, प्रसन्नता और सफलता देता है 

Navgrah Shanti Yantra                                                                                                                              नवग्रह यंत्र:Image result for navgrah yantra benefits in hindi            ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के भाग्य को सबसे अधिक प्रभावित उसकी कुंडली में मौजूद ग्रह करते हैं

। अगर कुंडली में कोई भी ग्रह अशुभ हो तो वह जातक को सफल होने से रोक सकता है।

 ऐसी स्थिति में सबसे बेहतरीन उपाय ग्रहों की शांति हेतु पूजा करवाना होता है

नौ ग्रह जैसे सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु को दर्शाते हैं।इस यंत्र को 

 नवग्रह यंत्र कहलाते हैं 

इनका इस्तेमाल ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने व उनके सकारात्मक फल को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इनको पूजने से शुभ फल प्राप्त होता है और आर्थिक संकट दूर होता है                                        ग्रहों को शांत कराने हेतु देनिक पूजा में नवग्रह यंत्र की पुजा से  ग्रह हमे जीवन में समृद्धि, प्रसन्नताप्रदान करते है  जिससे मनुष्य अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता हैनवग्रह यंत्र को नवग्रह शांति यं के नाम से भी जाना जाता है। इस यंत्र के माध्यम से सभी ग्रहों का एक साथ विधिवत पूजन हो जाता है।नवग्रह यंत्र की स्थापना करने के लिए पहले एक आसान बनाकर उसपर यंत्र को रखना चाहिए। यंत्र पर फूल, पंच द्रव्य,गंगा जल आदि छिड़कना चाहिए। इसके बाद पूजा कर प्रत्येक ग्रह के मंत्रों का जाप करना चाहिए।  प्रतिदिन धूप और पूजा करने से यंत्र का प्रभाव अधिक दिखाई देता है।Image result for navgrah yantra benefits in hindiप्राण प्रतिष्ट नवग्रह यंत्र के लिए संपर्क करे  mo. +917697961597

नौकरी में तरक़्क़ी के अचूक उपाय

नौकरी में तरक़्क़ी के अचूक उपाय

nokari me tarkki ke achuk upay 

Image result for नौकरी में तरक्की केनौकरी या प्रमोशन की इच्छा रखने वाले जातकों को  एवं नौकरी में रुकावटों दूर करने , तरक्की अथवा मनवांछित स्थानांतरण पाने के लिए सरल व अचूक उपाय है। जो आपकी पदोन्नति, नौकरी प्राप्ति एवं आय की  वृद्धि का कारक बनेंगे|


  • किसी ग़रीब को काले कंबल का दान करें
  • पिसी हुई हल्दी को बहते पाने में डालें
  • घर से निकलने से पूर्व पहले दाहिना पैर निकालें
  • सोमवार को कनिष्ठिका अँगुली में चाँदी की अंगूठीधारण करें
  • सुबह पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएँ एवं पदोन्नति की कामना करें
  • रविवार या मंगलवार के दिन मन में पदोन्नति की कामना करते हुए लाल कपड़े में जटा वाला नारियल बांधें और उसे पूर्व दिशा की ओर बहते हुए जल में प्रवाहित करें
  • शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले सोमवार के दिन सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र को चाँदी के तार में बाँधकर अपने पास रखें
  • घर से निकलते समय एक नींबू को अपने सिर के ऊपर से 7 बार घुमाएँ और चार लौंग इसके अन्दर डालें। अब इस नींबू को अपनी जेब या बैग में रखें और शाम को किसी बहते पानी में या किसी सुनसान जगह रख दें
  • यदि मनचाहा स्थानांतरण चाहते हैं तो अपने तकिये के नीचे आर्क की जड़ को रखकर सोएँ
  • प्रत्येक शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसो के तेल का दीपक जलाकर 7 परिक्रमा करें।
  • प्रत्येक गुरुवार को पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएँ लेकिन वृक्ष को स्पर्श न करें
  • पिता की सेवा करें 
  • पीपल के 11 साबुत पत्ते लेकर उन पर लाल सिन्दूर से राम-राम लिखकर प्रत्येक पत्ते को माथे से लगाकर साइड रखते जाएं। जब सभी पत्तों पर राम-राम लिख जाये तो मौली माला बनाकर हनुमान जी से अपनी नौकरी की प्रार्थना करते हुए उन्हें ये माला पहना दें। ऐसा लगातार 7 शनिवार तक करें
  • नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाते ॐ हं हनुमंते नमः मंत्र का 21 बार जाप करके मीठा भोग लगा दे 
  •  अपनी जन्म पत्रिका दिखाकर दशम भाव तथा दशमेश को मज़बूती प्रदान करें तब  नोकरी मे तरक्की होतीहै पदोन्नति, नौकरी प्राप्ति एवं आय की  वृद्धि का कारक बनेंगे ! उपरोक्त  तरक़्क़ी मे सहायक होगे आप अपनी कुंडली दिखा सकते है पारमर्श ले सकते है |

Thursday, 21 December 2017

चुम्बक की तरह पैसे को खींचता है ये पौधा

चुम्बक की तरह पैसे को खींचता है ये पौधा

Image result for क्रासूला (Crassula Plant)ये पौधा पैसे को चुम्बक की तरह घर में खींचता है। जिस तरह भारत में वास्तु उपाय  होता है उसी तरह चीन में इस विद्या को फेंगशुई के नाम से जाना जाता है। फेंगशुई शास्त्र के अनुसार एक पौधा ऐसा होता है जो घर में पैसे को चुम्बक की तरह खींच लेता है इस पौधे का नाम है – क्रासूला (Crassula Plant)
 कमाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन कई बार बहुत मेहनत करने पर भी उम्मीद के अनुसार पैसा नही आता।  जैसे की घर में वास्तु उपाय। कुछ लोग अपने घर में Money Plant का पौधा भी लगाते है आपने भी कई घरों में मनी प्लांट के पौधे लगे हुए देखे होंगे, कहा जाता है की इस पौधे के घर में होने से पैसे की आवक होती है और ये शुभ रहता है।
लेकिन KRASSULA पौधे का महत्त्व मनी प्लांट से कहीं ज्यादा माना जाता है, इस पौधे को Money Tree कहा जाता है। फेंग शुई के अनुसार इस पौधे को घर में रख देने मात्र से ये पैसे को अपनी और खींचता है।
 इस पौधे की पत्तियां चौड़ी होती है, इन्हें हाथ लगाने पर मखमली अहसाह होता है इसकी पत्तियों का रंग लाल और पीला मिक्स होता है ना तो पूरी तरह लाल होता है और ना पीला। इसकी पत्तियां दूसरे पौधों की तरह कमजोर नही होती, यह हाथ लगाने पर मुरझाती नही है और ना ही टूटती है।
 इसकी देखभाल में ज्यादा मेहनत की जरूरत नही होती, मनीप्लांट की तरह यह ज्यादा देखभाल नही मांगता। इसको रोज पानी देने की जरूरत नही होती। यदि 2-3 दिन बाद भी पानी दिया जाए तो यह पौधा सूखता नहीं है। क्रासूला घर के अंदर छाँव में भी पनप सकता है यह आपके घर की ज्यादा जगह नही घेरता इसलिए आप इसे छोटे गमले में भी लगा सकते है।
इस पौधे को घर के मुख्य दरवाजे के पास रखना चाहिए।  जहाँ से घर में प्रवेश करने का दरवाजा खुलता है उसके दाहिनी और इसे रखे।  कुछ ही समय में यह अपना असर दिखाना शुरू करता है।  और पैसे के साथ साथ घर में सुख शांति भी लाता है।

Saturday, 16 December 2017

किस राशि के लड़के /लड़की को बनाए अपना लाइफ पार्टनर कि जीवन होगा सुखी

किस  राशि केलड़के /लड़की   को बनाए अपना   लाइफ  पार्टनर  कि जीवन होगा सुखी 

kis rashi ke life patnar se kre shadi 

Image result for विवाहघर के वरिष्ठ परिजनों को कहते सुना है कि, 'जोड़ियां तो ऊपर से बनकर आती हैं। हम तो बस खोजते हैं।' हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह बात सत्य है, लेकिन विवाह के वर या वधू खोजा  करते हैंअब यदि सुयोग्य पुरुष/ कन्या मिल भी जाए। तो कुछ इस तरह उनके बारे में काफी हद तक काफी कुछ जान सकते हैं।
इस चार्ट  से अपने नाम और आपके पार्टनर की राशि खोज सकते है 
मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ
वृषभ- इ, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
मिथुन- का, की, कु, के, को, घ, ड़, छ, हा
कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे, टो
कन्या- पा, पी, पू, पे, पो, ष, ण, ठ
तुला- रा, री,रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू, ये, यो,
धन- भा, भी, भू, भे, फा, ढा, ध, भो
मकर- जा, जी, खा, खी, खू, खो, गा, गी
कुंभ- गू, गे, गो, दा, सा, सी, सू, से, सो
मीन- दी, दू, दे, दो, चा, ची, थ, झ, त्र
स्वम जाने आपके पार्टनर का स्वभाव गुण 
मेष और कुम्भ: यदि इन दोनों राशियों के जातक विवाह करते हैं संबंध बेहतर होता है। क्योंकि ये लोग साहसी, बंधन मुक्त और घूमना पसंद करते हैं।
वृश्चिक और सिंह: सिंह राशि को लोग अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना पसंद करते हैं तो वृश्चिक राशि के लोग थोड़े तेज प्रवृत्ति के होते हैं इसलिए ऐसे में दोनों राशियों के जातकों को विवाह करने से बचना चाहिए।
मेष और कर्क: जैसा कि पहले बताया गया है मेष राशि के लोग साहसी, निर्भीक होते है, कर्क राशि के लोग इन्हें पसंद करते हैं। इस लिए विवाह के लिए इन दोनों राशियों का सामंजस्य बेहतर माना जाता है।
तुला और सिंह: तुला और सिंह दोनों राशियों के जातक ही सामाजिक होना पसंद करते हैं, यह उन दोनों की खासियत है जो उन्हें एक दूसरे के बिलकुल काबिल बनाती है।
कर्क और मीन: इनमे दोनों राशियों के जातक में किसी भी तरह का छल कपट नहीं होता है एक दूसरे के लिए। दोनों बहुत भावात्मक और बुद्धिमान होते हैं। इसलिए ये बेहतर हैं।
धनु और मेष: ये व्यक्ति समाज से बहुत प्रेम करने वाले होते हैं यही खूबी मेष के अन्दर होती है जो उन दोनों को एक दुसरे के लिए बिलकुल सही जोड़ी बनाती है।
मिथुन और तुला: इन दोनों का यौन सम्बन्ध बहुत अच्छा होता है, जो इनके वैवाहिक सम्बन्ध खुशनुमा बनाता है। इसलिए ये बेहतर हैं।
मेष और मीन: मीन राशि वाले व्यक्ति सामान्य रूप से जिम्मेदारियों से बचते है और अपना काम अपने मेष साथी को देने से बुरा नहीं मानते हैं।
सिंह और मिथुन: मिथुन राशि वालों के पास यह क्षमता होती है कि वह सिंह राशि के व्यक्ति को बहकने से रोक सके और उसे गलत रास्ते पर जाने से बचा लेते हैं।
कुम्भ और मिथुन: कुम्भ राशि वाले बहुत ही रचनात्मक होते हैं जिसे मिथुन राशि वाले बहुत पसंद करते हैं।
कन्या और मकर: मकर वाले बहुत ही व्यावहारिक होते हैं और कन्या की इमानदारी से बहुत प्रभावित रहते हैं।
सिंह और धनु:धनु राशी के लोग सिंह राशि वालों के आत्मविश्वास बहुत पसंद आता है, जबकि कुछ और दूसरे चीजों के मामले में ये थोड़े कठोर होते हैं।
मकर और वृषभ: मकर राशि वालों को उनके वृषभ साथी का दयालु और संवेदनशील स्वभाव बहुत पसंद आता है।करता है।

ये 3 चीजे करे मालामाल और अमीर ye 3chije kre by muktajyotishs

Tuesday, 12 December 2017

अनुष्का शर्मा की कुंडली मे विवाह समय :

anushka sharma ki kundli


NAME                                         


अनुष्का शर्मा की कुंडली मे विवाह समय


:




Anushka Sharma

DATE OF BIRTH:01 May 1988
TIME OF BIRTH:12:00 PM
PLACE OF BIRTH:Bangalore, Karanataka
Image result for anushka sharma ki kundliAnushka Sharma kundali

अनुष्का शर्मा का जन्म राहु की दशा में हुआ। जन्म कुंडली में राहु के आठवे घर में होने के कारण इनको जिंदगी में सेहत की में खराबी, धोखे, डिप्रेशन आदि जैसी खराबी होती रहेगी साथ ही इनकी कुंडली में मांगलिक दोष है जिसके कारण इनके स्वभाव में जिद्दीपन व थोड़ा सा गुस्से वाला बनाता है और जिंदगी में स्ट्रगल देता है। गुरु ख़राब होने से इनकी पढाई लिखाई में भी दिक्कते लगी रहती है और उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है। 

इनकी जिंदगी में धार्मिक कार्यो से जुड़ना अच्छा फल  देगा, , कुंडली में शनि छटे घर में बैठकर पेट में समस्यां देगा। चंद्रमा चौथे घर में बैठकर रुपैये पैसे का सुख, प्रापर्टी सुख, मन में सुख देने में सक्षम है सार्वजनिक कार्यो जनता से जुड़े कार्यो से लाभ होता है । सूर्य, बुध की युति इनकोअपने परिश्रम नाम और यश वाला बनती है  लग्न है तुला चंद्र राशि है तो काफी आकर्षकसुंदर  बनाता है। इनकी कुंडली के योग में एक लव अफ़ेयर का योग बनाता है, जोकि शुक्र की दशा  4 मार्च 2011 से 1 नवम्बर 2013 तक रही जिसके चलते प्रेम संबंधों का आगमन हुआ क्योकि शुक्र की पंचम भाव को देख रहा है जो प्रेम का भाव है ।  मंगल की दशा 21 दिसंबर 2015 से 25 नवम्बर 2016 तक रही जिसमे इनका ब्रेकअप हुआ   क्योकि मंगल सप्तम मे और जब भी इसकी दशा अंतर आएगी कलहअशांति उत्पन्न होगी ।  अब गुरु कीमहा  दशा  मे राहू का अंतर मे शनि प प्र्यंटर मे मंगल कार्यहोगे  जोकि 2019 राहू का अंतर है   इस दशा में मंगल कार्यो के योग बनते है और 11-12 -2017 को विवाह हुयाआगे शनि की महा दशा मिश्रित फल करेगी 



परमात्मा किसी से धन और संपत्ति नहीं चाहता निष्ठा

 परमात्मा किसी से धन और संपत्ति नहीं चाहता निष्ठा

एक समय की बात है... शौरपुच्छ नामक बणिक ने एक बार भगवान बुद्ध से कहा-भगवन मेरी सेवा स्वीकार करें। मेरे पास एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ हैं, वह सब आपके काम आयें। बुद्ध कुछ न बोले- चुपचाप चले गए?
कुछ दिन बाद वह पुनः तथागत की सेवा में उपस्थित हुआ ओर कहने लगा- देव! यह आभूषण और वस्त्र ले लें, दुःखियों के काम आयेंगे, मेरे पास अभी बहुत-सा द्रव्य शेष है। बुद्ध बिना कुछ कहे वहां से उठ गए। शौरपुच्छ बड़ा दुःखी था की वह गुरुदेव को किस तरह प्रसन्न करे?
वैशाली में उस दिन महाधर्म-सम्मेलन था, हजारों व्यक्ति आये थे। बड़ी व्यवस्था जुटानी थी। सैकड़ों शिष्य और भिक्षु काम में लगे थे।
आज शौरपुच्छ ने किसी से कुछ न पूछा- काम में जुट गया। रात बीत गई, सब लोग चले गए पर शौरपुच्छ बेसुध कार्य-निमग्न रहा।
बुद्ध उसके पास पहुंचें और बोले-शौरपुच्छ! तुमने प्रसाद पाया या नहीं? शौरपुच्छ का गला रुंध गया। भाव-विभोर होकर उसने तथागत को साष्टांग प्रणाम किया।
बुद्ध ने कहा-वत्स परमात्मा किसी से धन और संपत्ति नहीं चाहता, वह तो निष्ठा का भूखा है। लोगों की निष्ठाओं में ही वह रमण किया करता है और तुमने स्वयं यह जान लिया।

Tuesday, 5 December 2017

शंख में रखे पानी के फायदे और शंख के प्रकार :—

 शंख में रखे पानी के फायदे और शंख के प्रकार :—
Image result for शंख बजाने का तरीका-शंख में रातभर रखे पानी को तीन चम्म्च सुबह खाली पेट पीने से कब्ज जैसी तकलीफों में फायदा होता है।
-रातभर शंख में रखे पानी में उतना ही सादा पानी मिलाकर आँखों को धोने से आँखें हेल्दी रहती है।
-नहाने के बाद शंख को स्किन पर हल्के-हल्के रगड़ने से स्किन ग्लो करती है।शंख में रातभर रखे पानी से सुबह स्किन की रेगुलर मसाज करे। स्किन संबधित बिमारियों में फायदा होता है।
——-शंख के जल से शालीग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता।
——यदि शंखों में भी विशेष शंख जिसे दक्षिणावर्ती शंख कहते हैं इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें। फिर इस दूध को निरूसंतान महिला को पिलाएं। इससे उसे शीघ्र ही संतान का सुख मिलता है।
-शंख में कैल्शियम और फॉस्फोरस के अलावा कई मिनरल्स होते हैं जो हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं।
-शंख बजाने के अलावा इसमें रखा पानी कई बीमारियों में फायदा करता है। शंख में कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। गले की मसल्स की एक्सरसाइज होती है। वोकल कार्ड और थाइरायड से जुडी प्रॉब्लम्स में फायदा होता है।
-ब्रेन और पूरी बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। हेयर फॉल की प्रॉब्लम भी दूर होती है।
– फेस की मसल्स की एक्सरसाइज होती है। झुर्रियों से बचाव होता है।

जानिए शंख के प्रकार :—
वैसे तो शंख कई प्रकार के होते है और सभी की विशेषता व पूजा करने की विधि भी अलग अलग ही होती है|  कैलाश मानसरोवर, मालद्वीप, लक्षद्वीप, कोरामंडल द्वीप समूह, श्रीलंका एवं भारत में उच्च श्रेणी के श्रेष्ठ शंख पाये जाते हैं और यें तीन प्रकार के होते हैं :-
गणेश शंख :—
ये पूज्य देव गणेश के आकार का ही होता है इसलिए इसको गणेश शंख ही कहा जाता है. इसे हम प्रकृति का चमत्कार या प्रभु की कृपा भी कह सकते है कि इसकी आकृति और शक्ति बिल्कुल गणेश जी के जैसी ही होती है. वे व्यक्ति निश्चित रूप से बहुत ही ज्यादा सौभाग्यशाली होते है जिनके घर में गणेश शंख का पूजन किया जाता है. गणेश जी की कृपा से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर हो जाती है आर्थिक, व्यापारिक समस्याओं से मुक्ति पाने का श्रेष्ठ उपाय श्री गणेश शंख ही है, इसे चार वर्णों में बांटा गया है जिसका आधार इसका रंग है इस दृष्टि से शंख चार रंग का होता हैं :- सफेद, गाजरी व भूरा, हल्का पीले व स्लेटी रंग का होता है.
वामावर्ती शंख :—
वामावर्ती शंख का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है इसका आकार बिल्कुल श्री यंत्र की तरह ही होता है. इसे प्राकृतिक श्री यंत्र भी माना जाता है जिस भी घर में पूरे विधि विधान से इसकी पूजा की जाती है, वहाँ पर लक्ष्मी जी सदा वास करती है. इसे दो प्रकारों से सीधे होठों से व धातु के बेलन पर रखकर बजाया जाता है, इस शंख की आवाज़ बहुत ही सुरीली होती है. विद्या की देवी सरस्वती भी शंख धारण करती है वे खुद भी विणा शंख की पूजा करती है और यह भी माना जाता है कि इसकी पूजा करने से या इसके जल को पीने से मंद बुद्धि वाला इन्सान भी ज्ञान से परिपूर्ण हो जाता है.
दक्षिणावर्ती शंख :—
भगवान विष्णु खुद भी अपने दाहिने हाथ में दक्षिणावर्ती शंख धारण करते है. पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के समय यह शंख निकला था जिसे स्वयं भगवान विष्णु जी ने धारण किया था. यह एक ऐसा शंख है, जिसको बजाया नहीं जाता है सिर्फ पूजा के स्थान पर ही रखा जाता है. इसे सर्वाधिक शुभ भी माना जाता है.
गोमुखी शंख :—
इस शंख की आकृति गाय के मुख के समान बहुत ही सुंदर होती है. इसे शिव पावर्ती का भी स्वरूप माना जाता है, धन की प्राप्ति तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इसकी स्थापना उत्तर की ओर मुँह करके की जाती है. यह भी माना जाता है कि इसमें रखा पानी पीने से गाय की हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है और इसको कामधेनु शंख भी कहा जाता है.
विष्णु शंख :—
यह शंख सफ़ेद रंग और गरुड़ की आकृति के समान होता है. इसे वैष्णव संप्रदाय के व्यक्ति विष्णु स्वरूप मानकर अपने अपने घरों में रखते है. माना जाता है कि जहाँ विष्णु होते है वहां लक्ष्मी भी स्थित होती है. इसलिए जिस भी घर में इस शंख की स्थापना होती है उसमें लक्ष्मी और नारायण का वास हमेशा रहता है. एक और मान्यता यह भी है कि इस शंख से रोहिणी, चित्रा व स्वाति नक्षत्रों में गंगाजल भरकर और मंत्र का जप करकें, उस जल को किसी गर्भवती महिला को पिलाने से सुंदर, ज्ञानवान व स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है.
पांचजन्य शंख :—
यह भगवान श्री कृष्ण का ही रूप है इसको विजय व यश का प्रतीक माना गया है इसमें पांच उँगलियों की आकृति होती है. घर में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष चल रहा है तो उसी से मुक्ति पाने के लिए इसकी स्थापना की जाती है. यह राहू और केतु के दुष्प्रभाव को भी कम करने में मदद करता है |भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी।
पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय:।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशंखं भीमकर्मा वृकोदर:।। –महाभारत
भगवान श्रीकृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था। कहते हैं कि यह शंख आज भी कहीं मौजूद है। इस शंख के हरियाणा के करनाल में होने के बारे में कहा जाता रहा है। 
माना जाता है कि यह करनाल से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में काछवा व बहलोलपुर गांव के समीप स्थित पराशर ऋषि के आश्रम में रखा था, जहां से यह चोरी हो गया। यहां हिन्दू धर्म से जुड़ी कई बेशकीमती वस्तुएं थीं।
अन्नपूर्णा शंख :—-
यह अन्य सभी शंखों से बहुत ज्यादा भारी होता है इसका इस्तेमाल भाग्यवृद्धि और सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है. इस शंख में गंगाजल भरकर सुबह सुबह सेवन करने से मन में संतुष्टि की इच्छा उत्पन्न होने लगती है तथा व्याकुलता समाप्त होती जाती है.
मोती शंख :—-
इसका आकार बहुत ही छोटा और बिल्कुल मोती के आकार का ही होता है इसको भी लक्ष्मी जी की प्राप्ति के लिए दक्षिणावर्ती शंख के समान पूजाघर में स्थापित किया जाता है. इसकी स्थापना से समृद्धि की प्राप्ति व व्यापार में सफलता प्राप्त होती है. इसमें नियमित रूप से लक्ष्मी मंत्र का 11 बार जप अवश्य करें, ऐसा करने से लक्ष्मी जी जल्दी ही प्रसन्न होती है.
कोड़ी शंख  :– कोड़ी शंख अत्यंत ही दुर्लभ शंख है। माना जाता है कि यह जिसके भी घर में होता है उसका भाग्य खुला जाता है और समृद्धि बढ़ती जाती है। प्राचीनकाल से ही इस शंख का उपयोग गहने, मुद्रा और पांसे बनाने में किया जाता रहा है। कौरी को कई जगह कौड़ी भी कहा जाता है। पीली कौड़िया घर में रखने से धन में वृद्धि होती है।
हीरा शंख :– इसे पहाड़ी शंख भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल तांत्रिक लोग विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए करते हैं। यह दक्षिणावर्ती शंख की तरह खुलता है। यह पहाड़ों में पाया जाता है। इसकी खोल पर ऐसा पदार्थ लगा होता है, जो स्पार्कलिंग क्रिस्टल के समान होता है इसीलिए इसे हीरा शंख भी कहते हैं। यह बहुत ही बहूमुल्य माना गया है। यह स्फटिक के समान धवल, पारदर्शी व चमकीला होता है यह बहुत ही ऐष्वर्यदायक लेकिन अत्यंत कमज़ोर होता है. इसमें से हीरे के समान सात रंग निकलते है, इसका इस्तेमाल प्रेम व शुक्र दोष से रक्षा के लिए किया जाता है. इसकी स्थापना से शुक्र ग्रह की कृपा भी प्राप्त होती है.
टाइगर शंख :—
इस शंख पर बाघ के समान धारियां होती है जो बहुत ही सुंदर दिखाई देती है. ये धारियां लाल,गुलाबी,काली व कत्थई जैसे रंग की होती है. इसकी स्थापना से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है तथा शनि, राहू और केतू ग्रह की व्याधियों से मुक्ति मिलती है|
तात्पर्य यह है कि शंख के अनेक गुण है साथ ही साथ साधक के मन में भी तंत्र शक्ति का संचार भी होता है ये सभी गुण अध्यात्मिक भी है, वैज्ञानिक भी और औषधीय भी है इनके गुणों को देखते हुए इनकी स्थापना अवश्य करनी चाहिए. ऐसा करने से आपके पाप तो नष्ट होंगें ही साथ में हमारी मनोकामनाओं की भी पूर्ति होगी और ये सब हमारे लिए बहुत ही लाभकारी साबित होगा |
शंख के अन्य प्रकार :— देव शंख, चक्र शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, पंचमुखी शंख, वालमपुरी शंख, बुद्ध शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख, शेर शंख, कुबार गदा शंख, सुदर्शन शंक आदि।

mangal dosh kb nahi hota मंगल दोष कब नहीं होता येसे जाने by muktajyotishs

Monday, 4 December 2017

Rashi phal in hindi राशि फल 2018 कोनसी राशिया मालामाल किन परटूटेगा दुख...

दिसंबर मास मे जन्म लेने वाले लोगों में ये 4 बाते

दिसंबर मास मे जन्म लेने वाले लोगों में ये 4 बाते 

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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार,मनुष्यके जन्म के समय जो ग्रह-नक्षत्र होते हैं उससे ही भविष्य तय हो जाता है। इसी को किस्मत कहते हैं। प्रत्येक माह व दिन में ग्रहों और नक्षत्रों का योग अलग अलग होता है। यही कारण है कि एक ही दिन और एक ही महीने में जन्म लेने वाले लोगों का भविष्यफल अलग-अलग होता है।
 दिसंबर मास मे जन्म लेने वाले लोगों में कुछ बातें कॉमन रूप से पाई जाती हैं। 
1- इस माह जन्म लेने वाले ज्यादातर लोग अपनी मर्जी का करने वाले होते हैं। यह लोग पूरी तरह से नकारा तो नहीं लेकिन आलसी जरूरी होते हैं। 15 दिसंबर के बाद जन्म लेने वाले लोग कलाकार और दार्शनिक प्रकृति के होते हैं।
2- दिसंबर फर्स्ट हाफ में पैदा हुए लोगों को काल्पनिक दुनिया में खोए रहना पसंद होता है। ऐसे लोग कई बार अति भावुकता के कारण दूसरों के लिए परेशानी खड़ी करते हैं। ऐसे लोगों को अपने घर, परिवार को छोड़कर दूर जाना पसंद नहीं होता। इसी वजह से कई बार नौकरी या अन्य लाभ के अवसर भी गंवा देते हैं।
3- दिसंबर में जन्मे लोगों में गजब का आकर्षण होता है।  लोगों में एक जबरदस्त गुण ये होतो है कि यह किसी भी महफिल में छा जाने की क्षमता रखते हैं।

4 - दिसंबर अंत में जन्में लोग यदि अपने अंदर थोड़ी गंभीरता लाएं तो इनके अंदर दुनिया को लोहा मनवाने की क्षमता होती है। माना जाता है कि ऐसे लोग चंचलता के कारण एक जगह पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। यदि आप दिसंबर में पैदा हुए लोगों के आस-पास हैं तो आपको खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि ऐसे लोग दिल खोलकर खर्च करने वाले होते हैं। दिसंबर में पैदा लोगों के पास लक्ष्मी की कमी नहीं होती। ये लोग पैसा खर्च के करने के साथ बचत करने में भी माहिर होते हैं। लक्ष्मी की क्र्पा विशेष होती है 

Thursday, 30 November 2017

नजर टोने टोटके को दूर करे 2 मिनिट मे by muktajyotishs

before building a house मकान बनाने से पहले इस बात का विचार अवश्य करे by ...

See your own lucky tree and miracle बस लगाये अपना एक लकी वृक्ष और चम...

जन्म कुंडली के 12 भाव जन्म से मृत्यु तक के रहस्य को बताते है

जन्म कुंडली के 12 भाव जन्म से मृत्यु तक के रहस्य को बताते है

kundli ke 12 bhav kya batate hai 


Image result for हार्दिक पटेल की कुंडली जन्म समयमनुष्य के लिए संसार में सबसे पहली घटना उसका इस पृथ्वी पर जन्म है, इसीलिए प्रथम भाव जन्म भाव कहलाता है। जन्म लेने पर जो वस्तुएं मनुष्य को प्राप्त होती हैं उन सब वस्तुओं का विचार अथवा संबंध प्रथम भाव से होता है। जसे-रंग-रूप, कद, जाति, जन्म स्थान तथा जन्म समय की बातें। ईश्वर का विधान है कि मनुष्य जन्म पाकर मोक्ष तक पहुंचे अर्थात प्रथम भाव से द्वादश भाव तक पहुंचे। जीवन से मरण यात्रा तक जिन वस्तुओं आदि की आवश्यकता मनुष्य को पड़ती है वह द्वितीय भाव से एकादश भाव तक के स्थानों से दर्शाई गई है। मनुष्य को शरीर तो प्राप्त हो गया, किंतु शरीर को स्वस्थ रखने और ऊर्जा के लिए दूध, रोटी आदि खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है अन्यथा शरीर नहीं चलने वाला। इसीलिए खाद्य पदार्थ, धन, कुटुंब आदि का संबंध द्वितीय स्थान से है। धन अथवा अन्य आवश्यकता की वस्तुएं बिना श्रम के प्राप्त नहीं हो सकतीं और बिना परिश्रम के धन टिक नहीं सकता। धन, वस्तुएं आदि रखने के लिए बल आदि की आवश्यकता होती है इसीलिए तृतीय स्थान का संबंध, बल, परिश्रम व बाहु से होता है। शरीर, परिश्रम, धन आदि तभी सार्थक होंगे जब काम करने की भावना होगी, रूचि होगी अन्यथा सब व्यर्थ है। अत: कामनाओं, भावनाओं का स्थान चतुर्थ रखा गया है। चतुर्थ स्थान मन का विकास स्थान है। मनुष्य के पास शरीर, धन, परिश्रम, शक्ति, इच्छा सभी हों, किंतु कार्य करने की तकनीकी जानकारी का अभाव हो अर्थात् विचार शक्ति का अभाव हो अथवा कर्म विधि का ज्ञान न हो तो जीवनचर्या आगे चलना मुश्किल है। पंचम भाव को विचार शक्ति के मन के अन्ततर जगह दिया जाना विकास क्रम के अनुसार ही है। यदि मनुष्य अड़चनों, विरोधी शक्तियों, मुश्किलों आदि से लड़ न पाए तो जीवन निखरता नहीं है। अत: षष्ठ भाव शत्रु, विरोध, कठिनाइयों आदि के लिए मान्य है। मनुष्य में यदि दूसरों से मिलकर चलने की शक्ति न हो और वीर्य शक्ति न हो तो वह जीवन में असफल समझा जाएगा। अत: मिलकर चलने की आदत व वीर्यशक्ति आवश्यक है और उसके लिए भागीदार, जीवनसाथी की आवश्यकता होती ही है। अत: वीर्य जीवनसाथी, भागीदार आदि का विचार सप्तम भाव से किया जाता है। यदि मनुष्य अपने साथ आयु लेकर न आए तो उसका रंग, रूप, स्वास्थ्य, गुण, व्यापार आदि कोशिशें सब बेकार अर्थात् व्यर्थ हो जाएंगी। अत: अष्टम भाव को आयु भाव माना गया है। आयु का विचार अष्टम से करना चाहिए। नवम स्थान को धर्म व भाग्य स्थान माना है। धर्म-कर्म अच्छे होने पर मनुष्य के भाग्य में उन्नति होती है और इसीलिए धर्म और भाग्य का स्थान नवम माना गया है। दसवें स्थान अथवा भाव को कर्म का स्थान दिया गया है। अत: जसा कर्म हमने अपने पूर्व में किया होगा उसी के अनुसार हमें फल मिलेगा। एकादश स्थान प्राप्ति स्थान है। हमने जसे धर्म-कर्म किए होंगे उसी के अनुसार हमें प्राप्ति होगी अर्थात् अर्थ लाभ होगा, क्योंकि बिना अर्थ सब व्यर्थ है आज इस अर्थ प्रधान युग में। द्वादश भाव को मोक्ष स्थान माना गया है। अत: संसार में आने और जन्म लेने के उद्देश्य को हमारी जन्मकुण्डली क्रम से इसी तथ्य को व्यक्त करती है। जन्मकुण्डली का फल कथन : जिस भाव में जो राशि होती है उसी राशि के स्वामी ग्रह को उस भाव का भावेश कहते हैं। तृतीय, षष्ठ, एकादश भावों के पापी ग्रहों का रहना शुभ माना जाता है। षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भाव के स्वामी जिन भावों में रहते हैं उसका वह अनिष्ट करते हैं यदि वह स्वग्रही अथवा उच्च न हो तो। अपने स्वामी ग्रह से देखा जाने वाला भाव बलवान व शुभ होता है। अष्टम व द्वादश भाव में सभी ग्रह अनिष्ट फलप्रद होते हैं, किंतु शुक्र द्वादश स्थान में बहुत प्रसन्न रहता है, क्योंकि शुक्र एक भोगात्मक ग्रह है तथा द्वादश स्थान भोग स्थान है। छठे भाव अथवा स्थान में भी शुक्र सम्पन्न रहता है, क्योंकि छठे, स्थान से द्वादश स्थान पर शुक्र की सप्तम दृष्टि पड़ती है। अत: छठे स्थान में आया शुक्र धन के लिए शुभ होता है और भोग-विलास की वस्तुएं देता है। ग्रह अपने भाव केन्द्रीय, त्रिकोण, पंचम, चतुर्थ, दशम हो तो शुभ होता है। किंतु ग्रह का मित्र राशि में अथवा स्वग्रही अथवा उच्च होना अथवा वक्री होना अनिवार्य है। सूर्य व मंगल को दशम भाव में, बुध व बृहस्पति को लग्न में, शुक्र व चंद्रमा को चतुर्थ में और शनि को सप्तम भाव में दिग्बल की प्राप्ति होती है। ‘‘चन्द्र लग्नं शरीरं स्यात्, लग्नस्यात् प्राण संज्ञकम।ड्ढr ते उो शंपरीक्ष्यैव सर्व नाड़ी फलं स्मृतम।’’ अर्थात् चंद्र लग्न शरीर है और लग्न प्राण, इन दोनों का सम्मिलित विचार करके ही कुण्डली का फल करना चाहिए। ग्रह अपना शुभ अथवा अशुभ फल अपनी महादशा में देते हैं। महादशा व अंतर्दशा के ग्रह मित्र होकर एक दूसरे के भावों में जिसे ग्रहों का ‘राशि परिवर्तन योग’ कहते हैं, होंगे तो अत्यंत शुभ फलदायक होंगे। महादशा व अंतर्दशा के ग्रह एक दूसरे के शत्रु होंगे तो अशुभ फल की प्राप्ति होगी। किसी भी ग्रह का उच्च का होकर वक्री होना उसकी शुभता में न्यूनता लाता है। ग्रह का वक्री होकर उच्च होना अशुभता का सूचक है। महादशा से अंतर्दशा का स्वामी ज्यादा बलवान होता है। अत: अंतर्दशा का स्वामी शुभ हुआ और महादशा के ग्रह मित्र हुआ तो अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यदि महादशा का स्वामी ग्रह महादशा का शत्रु हुआ और दोनों ग्रह एक-दूसरे से तृतीय, षष्ठम अष्टम अथवा द्वादश हुए तो महाअशुभ फलों की प्राप्ति समझनी चाहिए।इस प्रकार कुंडली सम्पूर्ण जीवन फल को बताती है जो समय समय पर घटित होता है |

Wednesday, 29 November 2017

श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 अनेक महत्वपूर्ण जानकारी वार्षिक तेजी मंदी

श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 अनेक महत्वपूर्ण जानकारी वार्षिक तेजी मंदी



श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 यह पंचांग मान्यकेतकी शुद्ध द्दष्यगणित से निंर्मित है श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग -2018 मे ग्रह संचार ,चंद्र संचार मास फल मे --भविष्य  की होने वाली घटना  तेजी मंदी आकाशी लक्ष्ण आप का राशि फल मंगल मुहूर्त शकुन विचार  भद्रा का समय  मूल नक्षत्र रो का ज्ञान प्रमुख जयंती दिवस प्रमुख त्योहार ,मुस्लिम त्योहार  महापातयोग
आदि प्रत्येक मास मे दिये है 
जन्म दिन कैसे मानये  वर -वधू मिलापक सारणी  वर्षफल 2018 का   कोडी के प्रयोग हरिद्र गणपती के प्रयोग   नवग्रह शांति के मंत्र और यंत्र आदि मंगल दोष परिहार  देनिक  तेजी मंदी व्यापारिक भविष्य 2018  मन चाहीसंतान प्राप्त का ज्ञान चक्र शनि की सादे साती ढैया की शांति उपाय वार्षिक राशि फल  अनेक कार्य सिद्धि के योग दिवाली पूजन के शुभ मुहूर्त आदि 
अनेक महत्वपूर्ण जानकारी से युक्त श्री सर्वोत्त्म हिन्दी पंचांग 
2018 एक वार अवश्य पढे 
नोट ---  थोक और फुटकर विक्रेता संपर्क करे 

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Tuesday, 28 November 2017

फ्रांस के 16वीं सदी के भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां 2018 के लिए

फ्रांस के 16वीं सदी के  भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां 2018 के लिए 

Predictionsnsrt of Nastredamus for 2018



नास्त्रेदमस ने 2018 के लिए की थीं ये भविष्यवाणियांफ्रांस के 16वींसदी के जाने माने भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां आज भी दुनिया भर के कई वैज्ञानिकों और लोगों के लिए पहेली बनी हुई हैंआने वाली 20 शताब्दियों के लिए 400 साल पहले जो भविष्यवाणियां की थीं, उनमें से अधिकतर सच साबित हुई हैं इसलिए पूरी दुनिया के लोगों ने नास्त्रेदमस की किताबों और क्रिस्टल बॉल्स को देखना शुरू कर दिया है. नास्त्रेदमस ने कविताओं के जरिए ये भविष्यवाणियां की थीं. उनकी भविष्यवाणियां इतनी उलझाऊ और अबूझ है कि उसे समझना काफी मुश्किल भरा काम होता है. आइए जानते हैं कि 2018 के लिए नास्त्रेदमस ने क्या भविष्यवाणियां की हैं.डायना की मौत, एडोल्फ हिटलर के उदय, परमाणु बम, द्वितीय विश्व युद्ध, 9/11 के बारे में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां बिल्कुल सटीक साबित हुई हैं. 2016 में अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी नास्त्रेदमस की भविष्वाणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश के 45वें राष्ट्रपति के बारे में नास्त्रेदमस ने जो कुछ भी सांकेतिक रूप में कहा था, वह डॉनल्ड ट्रंप के रूप में बिल्कुल सटीक साबित हुआ है.कुछ रिसर्चरों के मुताबिक, नास्त्रेदमस ने अपनी मौत के बारे में भी बिल्कुल सटीक भविष्यवाणी कर दी थी. उन्होंने भविष्यवाणी करते हुए कहा था, मैं बेंच और बिस्तर के नजदीक मृत पाया जाऊंगा. उन्होंने अपनी मौत से ठीक एक रात पहले यह भी बता दिया था कि वह अगली रात जिंदा नहीं होंगे. नास्त्रेदमस अगली सुबह अपने बेडरूम में अपनी टेबल पर मृत पाए गए थे. इस तरह उनकी अपनी ही मौत के बारे में की गई भविष्यवाणी सच साबित हुई थी.नास्त्रेदमस ने 2018 के लिए जो भविष्यवाणियां की हैं, उसमें कई भयावह घटनाओं की भी भविष्यवाणियां की हैं. नास्त्रेदमस के मुताबिक, 2018 में मृत आत्माएं अपनी कब्र से बाहर आ जाएंगी और दुनिया में काफी उथल-पुथल मचेगी. नास्त्रेदमस ने 2018 में कई प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी की है.नास्त्रेदमस की तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी: नास्त्रेदमस ने अपनी किताब 'द प्रोफेसीज' में तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की है. नास्त्रेदमस ने वैश्विक व्यवस्था में एक बड़े फेरदबदल की भविष्यवाणी की है. नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी के मुताबिक, तीसरा विश्व युद्ध केवल दो और दो से ज्यादा देशों में नहीं बल्कि दो दिशाओं के बीच का होगा यानी पूरब और पश्चिम के बीच. पू्र्व और पश्चिम के देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बारे में हमें पता ही है.नास्त्रेदमस भविष्यवाणी के मुताबिक, आदमी आदमी को मार रहे होंगे और युद्ध के अंत में कुछ लोग ही शांति का आनंद उठाने के लिए बचेंगे. आसमान से उड़ती हुई आग की गेंदे गिरेंगी और लोग असहाय हो जाएंगे. उत्तर कोरियाके लगातार न्यूक्लियर मिसाइल्स परीक्षणों से लगातार यह डर बना ही हुआ है.2018 में कई विनाशकारी भूकंप आएंगे. चीन भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा और कई हजार मौतें होंगी. 2018 की सर्दी में पैसिफिक की बेल्ट में ज्वाला उठेगी और कई भूकंप और ज्वालामुखी अपना कहर बरसाएंगे. दुनिया के कई हिस्सों में बाढ़ भी आएगी जिससे आतंक मचेगा. चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया में टाइफून आएगा. रूस मौसम और बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा.सौर विकरण से जल उठेगी धरती: नास्त्रेदमस ने अपनी किताब 'द प्रोफेसीज' में लिखा है, राजा जंगलों को चुरा ले जाएगा, आसमान खुल जाएगा, ताप से सभी खेत जल जाएंगे. कई विद्वानों ने नास्त्रेदमस की इस भविष्यवाणी की व्याख्या ओजोन छिद्र के बड़ा होने और जंगल के विनाश से की है जिससे पृथ्वी सौर विकिरण से प्रभावित होगी.2018 में विसुवियस में आग उठेगी जिससे पूरा इटली हिल जाएगा. इटली के भू वैज्ञानिकों की मानें तो विसुवियस एक सक्रिय ज्वालामुखी से बढ़कर है. 2018 के अंत तक इसके फटने की संभावना है या फिर 2019 की शुरूआत में. अभी तक इतिहास में यह केवल दो बार फटा है

Monday, 27 November 2017

shani ko prsnn kre ye bate शनि को प्रसन्न करे ये खास बाते by muktajyotishs

ketu shanti ka saral upay केतू से पीड़ित है केवल 2 उपाय करे by muktajyotisha

अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को लगाओ और जीवन मे सफलता पाओ

अपने जन्म नक्षत्र  के वृक्षों को लगाओ और जीवन मे सफलता पाओ 

apne janm nakstr ka vrksh lagao saphlta paaao 


Image result for नक्षत्र के वृक्षकिसी व्यक्ति के जन्म के समय, चंद्रमा धरती से जिस नक्षत्र की सीध में रहता है, वह उस व्यक्ति का जन्म-नक्षत्र कहलाता है। इस प्रकार अपने जन्म-नक्षत्र जानकर उस वृक्ष को पहचानिए जिसका सेवन आपके लिए वर्जित है। अत: जन्म-नक्षत्र से संबंधित वृक्ष का सेवन नहीं, सेवा करनी चाहिए।पने जन्म-नक्षत्र के पौधे घर में लगाकर उसे सींचे। ऐसा करना आपके हित में होगा। इससे आप निरोगी, स्वस्थ और संपन्न रहेंगे, साथ ही दीर्घायु भी। 
अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को बढ़ाने और पालन करने से आयु आदि की वृद्धि होती है। क्रम नक्षत्र देवता वृक्षों के नाम 1. अश्विनी अश्विनी कुचिला 2. भरणी यम आंवला 3. कृत्तिका अग्नि गूलर 4. रोहिणी ब्रह्म जामुन 5. मृगशिरा सोम खैर 6. आद्र्रा रुद्र शीशम 7. पुनर्वसु अदिति बांस 8. पुष्य गुरु पीपल 9. आश्लेषा सर्प नागकेसर 10. मघा पितर बरगद 11. पू. फाल्गुनी भग ढाक 12. उ. फाल्गुनी अर्यमा पाकड़ 13. हस्त सविता रीठा 14. चित्रा त्वष्टा बेल 15. स्वाति वायु अर्जुन 16. विशाखा इन्द्राग्नि विकंकत 17. अनुराधा मित्र मौलश्री 18. ज्येष्ठा इन्द्र चीड़ 19. मूल निऋति साल 20. पूर्वाषाढ़ा अप (जल) जलवेतस 21. उत्तराषाढ़ा विश्वेदेव कटहल 22. श्रवण विष्णु मदार 23. धनिष्ठा वसु शमी 24. शतभिषा वरुण कदंब 25. पू. भाद्रपद अजैकपद आम 26. उ. भाद्रपद अहिर्बुध्न्य नीम 27. रेवती पूषा महुआ

Wednesday, 22 November 2017

2राशि पर ढैय्याऔर 3 राशि पर है साढ़ेसाती शनिवार को करें ये उपाय

2राशि  पर ढैय्याऔर 3 राशि पर है साढ़ेसाती  शनिवार को करें ये उपाय

shani ki dhaiya aur sadhe sati ka upay 

Image result for ढैय्यावृषभ राशि के उपाय

1. काले घोड़े की नाल या समुद्री नाव की कील से लोहे की अंगूठी बनवाएं। उस पर शनि मंत्र के 23000 जाप करें अपनी अंगूठी मध्यमा (शनि की अंगुली) में ही पहनें।
2. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं।
मंत्र- ऊँ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

कन्या राशि के उपाय

1. काले कुत्तों को लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है।
2.शनि कवच यंत्र धरण करे 
3. किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23000 जाप करें या करवाएं। ये है शनि का तंत्रोक्त मंत्र-
ऊँ प्रां प्रीं स: श्नैश्चराय नम:

वृश्चिक राशि के उपाय

1. इस शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं। ऐसा करने से लाभ होगा।
2. रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जाप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।
वैदिक मंत्र-
ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।

धनु राशि के उपाय

1.काला सुलमानी चांदीकी अंगूठी में अभिमंत्रित करवा कर धारण करें।
2.शनिवार को किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनि दोष की शांति के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करें। बूंदी के लड्डू का भोग भी लगाएं।
3. शनिवार को शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद सरसों के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।

मकर राशि के उपाय

1. शमी वृक्ष की जड़ काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्याएं हैं, उनका निदान होगा।
2. इस शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात:1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते है




Friday, 17 November 2017

today vyapar bhvishy taji mandi

today vyapar bhvishy taji mandi


आज 17 -11 -2017 को सोने मे मंदी का योग
muktajyotish samadhan kendr 
mo.+917697961597www.muktajyotish.com

Tuesday, 14 November 2017

व्यापार- वृद्धि व दुकान बंधन खोलने वाला अचूक मंत्र

 व्यापार- वृद्धि व दुकान बंधन खोलने वाला अचूक  मंत्र 

Trade-up
  विधि: पहले किसी शुभ मुहूर्त में घृत, गुग्गुल की धूप देते हुए 108 जप कर लें। दुकान खोलकर साफ-सफाई करने के बाद काली साबुत उड़द के दानों पर 108 बार मंत्र पढ़कर दुकान में बिखेर दें तथा कुछ दाने बैठने वाली गद्दी के नीचे अवश्य ही डालें। प्रयोग रविवार के दिन से प्रारंभ कर आवश्यकतानुसार 3, 5 या 7 रविवार तक लगातार करें। प्रारंभ व समापन रविवार को ही करने से लाभ होगा। इससे व्यापार में वृद्धि तथा दुकान बंधी हो तो खुल जाना स्वाभाविक है। 
मंत्र: भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान कहा  कर मेरा। उठै जो डण्डी बिकै जो माल, भंवरवीर सोखे नहिं जाय।

कर्ज से मुक्ति के लिए इस प्रकार करें हनुमान जी को प्रसन्न


कर्ज से मुक्ति के लिए इस प्रकार करें हनुमान जी को प्रसन्न

karj se mukti hetu hanumaan ji ko prssn kre 

Image result for hanumanसांसारिक जीवन में श्री राम भक्त हनुमान को भक्ति का दूसरा नाम माना जाता है, कहा जाता है की यदि आपके जीवन मे आने वाली मुश्किलों पर विजय प्राप्त करना है तो उसके लिए मंगलवार का दिन सर्वेश्रेष्ठ है।  ऐसे उपाय  हैं जिनसे मंगलवार के दिन करने से जीवन में आने वाली हर मुश्किल से पार पाया जा सकता है।

अगर लंबे समय से आपके ऊपर कर्ज है और आप उस कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऋण मोचन मंगल स्त्रोत का पाठ करें।

शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए शुद्ध घी के रोट का भोग हनुमान जी को भोग लगाना चाहिए। मंगलवार को यह उपाय करें तो और भी अच्छा है।

यदि आप काफी समय से मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं तो मंगल कवच का पाठ करें।

अगर आप लंबे समय से किसी रोग से पीड़ित हैं तो प्रत्येक मंगलवार “ॐ अं अंगारकाय नमः” की 5 माला जाप करें। जल्द ही रोग मुक्त हो जाएंगे।