Wednesday, 27 February 2019
Monday, 25 February 2019
प्रियंका गांधी की कुंडली के बारे में विश्लेषण
प्रियंका गांधी की कुंडली के बारे में विश्लेषण
priyanka-gandhi- Horoscope
मैं आपको यहां पर प्रियंका गांधी की कुंडली के बारे में विश्लेषण कर रही हूं जन्म तारीख समय स्थान की जानकारी इंटरनेट से प्राप्त है प्रियंका का जन्म 12 जनवरी 1972 को हुआ है। उनके जन्म के समय मिथुन का उदय हो रहा था जो आध्यात्मिक और विशिष्ट रूप से बुद्धिमत्ता का प्रतिनिधित्व करता है। मिथुन लग्न का स्वामी बुध सप्तम स्थान पर बैठा हुआ है औरर गुरु बुध और सूर्य की दृष्टि लग्न पड़ रही है मंगल की दृष्टि पड़ रही है ऐसे में लग्न को मजबूत बनाती है तो ऐसा जो जाति का रहती है मजबूत साहसी पराक्रमी कार्यक्षेत्र में चतुर और कार्यों मे यश प्राप्त करने वाली होती है वृश्चिक राशि है जिस शनि की साढ़ेसातीका अंतिम दौर चल रहा है कुंडली के अनुसार किस प्रकार फलित होता हैबुद्ध गुरुसूर्य के साथ7 भाव मे है वर्तमान मे शुक्र महादशा चल रही है शुक्र महादशा जो है 2003 से चल रही है और यह 2023 तक चलेगी लेकिन अर्थात शुक्र महादशा में जो शनि का अंतर चल रहा हैशनि कुंडली में भाग्य और 8 भाव का स्वामी होकर के 12वीं स्थान पर वक्री होकर बैठा है ऐसी स्थिति में शनि की दृष्टिभाग्य पर पड़ रही है भाग्य व्र्धि के साथ कष्ट भी देता है 10 भाव स्वामी जो है मंगल हैवर्तमान मे मंगल मीन राशि पर चल रहा है इसलिए अचानक से पद की बढ़ोतरी कर दी मंगल जो कुंडली में भी बलवान स्थिति में बैठा हुआ है जिसका सीधा संबंध में जनता के कारण क्षेत्र वालों से भी है साथ ही साथ इसका प्रभाव पड़ रहा है और मंगल का प्रभाव पंचम स्थान पर हुई है4 भाव पर तो ऐसी स्थिति में जब मंगल का प्रभाव क्षेत्र में हो जाता है तो राजनीति में सफलता के योग बना देता है साथ ही साथ गुरु की दृष्टि पड़ रही है लाभ पर पड़ रही है और पराक्रम स्थान पर पड़ रही है राजनीति क्षेत्र को मजबूती प्रदान करता है और ऐसे भी करता है सप्तम स्थान का स्वामी गुरु है गुरु का व्यापार क्षेत्र को उत्पन्न करने वाला स्वराशि का 7 स्थान पर बैठा हुआ है ऐसे में बैठा रहता है पति की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत रहती है साथ ही साथजीवन दशा अनुसार अशांति की उत्पत्ति हो जाती हैपति की सुख संपत्ति बड़ी होती है पराक्रम को बढ़ाने वाला एक प्रकार से सहयोग और मदद करने वाला हो जाता है गुरु दशम श कुंडली मे 10 भाव पर है जो है क्षेत्र पर बैठा हुआ है और राहु के साथ है तो ऐसी स्थिति में राजनीति में सफलता प्रदान करने वाला हो जाता है क्योंकि राहु का संबंध के बिना राजनीति में बहुत अधिक सफलता की संभावना नहीं रहती है साथ ही साथ राहु की दृष्टि किसी प्रकार से राजनीति में सफलता देने वालों के साथ हो जाती है तो सफलता की प्राप्ति होती है
सूर्य सप्तम स्थान पर बैठा हुआ है और पराक्रम का अर्थ है सूर्य सप्तम स्थान में बैठने से कार्य व्यापार स्वतंत्र कार्य से संबंधित राज्य से संबंधित सफलता के योग बनाता है उसका स्वामी जो है उसे बैठा हुआ है तो यहां पर नीच भंग राज योग बन रहा है नीच भंग राजयोग का मतलब है मान-सम्मान से युक्त हो जाता है साथ ही साथ को हम देखते हैं संगीत कार्य आदि में रुचि रहने वाला हो जाता है गुरु भी मान सम्मान और पूज्यनीय बनाने वाला ग्रह है जो बलवान है शनि शत्रुओं से लाभ दिला दिलाता है क्योंकि शनि की दृष्टि 6 भाव पड़ रही है 2 स्थान पर भी है और भाग्य पर भी है लेकिन कहा जाता है कि जहां से सनी पर शनि की दृष्टि पड़ती है उसे स्थान की हानि होती है तो ऐसी स्थिति में कुछ ना कुछ जो है कमी बेशी की संभावना बनी रहती है राहु जो है विद्वान बनाता है और अनेक गुणों से संपन्न बनाकर के मान-सम्मान दिलवाने वाला हो जाता है यदि हम वर्तमान स्थिति में ग्रहों का अंतर देखें तो शनि में 15- 7- 2016 से शुक्र महादशा में शनि का अंतर चल रहा है और जो है 14- 9 -2019 तक चलेगा अंतर में किस दशा का प्रत्यंतर जो है आने वाला है उसके अनुसार क्या फल घटित होंगे वर्तमान स्थिति हम देखते हैं तो शुक्र महादशा में शनि की अंतर्दशा में जो प्रत्यंतर दशा चल रही है चल रही है राहू की और राहू की प्रत्यंतर दशा चल रही है 2019 तक चल रही है इसके बाद जो है 13-04 -2019 से 10 -9 -2019 तक गुरु का अंतर चलेगा स्थिति में राहु का अध्ययन करते हैं क्योंकि राहु जो है कुंडली के अष्टम स्थान पर स्थित है ऐसे में अधिक परिश्रम से कार्य क्षेत्र में सफलता देने वाला होता है बहुत अधिक परिश्रम सफलता की प्राप्ति होती है जो मैंने आपको प्रियंका जी का जो है चार्ट के अनुसार किया की कुंडली में ऐसे कौन से योग पड़े हुए हैं जीवन में सफलता प्रदान करते हैं और उनकी दशये आती हैं तो जीवन सफल हो जाता है उसे हम देखते हैं तो गुरु के द्वारा पंच महापुरुष नाम का हंस योग बन रहा है जो कि लग्न से केंद्र में सप्तम स्थान पर विराजमान है तो ऐसे में जाति का रहती हैं वह लालिमा मुखड़ी सुंदर और कार्य क्षेत्र में निपुण और कार्य व्यापार में उन्नति करने वाली होती है और दीर्घायु की प्राप्ति होती है राजा राजा के सदस्य अपने बाहुबल से धन यशस्वी अपने गुणों से युक्त राजा ,राज्य मंत्री पद प्राप्त करने वाली होती है चंद्रमा से6 स्थान में रहने से राजा का पुत्र होता है नीच भंग राजयोग चंद्र जो नीच राशि में बैठा हुआ है नीच भंग राजयोग बना रहा है नीच भंग राजयोग स्थिति में होने से सभी भौतिक सुख सुविधा प्रदान करने वाला हो जाता है उनका संबंध लगने का संबंध यदि केंद्र या त्रिकोण से हो जाता है तो केंद्र त्रिकोण राजयोग निर्मित करता है या योगी वैभव भूमि वाहन के सुख प्रदान करने वाला हो जाता है और जैसे भी ग्रहों की दशा अंतर्दशा आती है उसका फल उत्पन्न होता है बना हुआ है इस प्रकार के हैं जीवन में सफलता प्रदान करने वाले होते हैं वर्तमान में मंगल का गोचर चल रहा है वह मीन राशि पर है मंगल है 22 मार्च तक रहेगा इसके बाद मेष राशि में प्रवेश करेगा तो इसका क्या फल होता है यह मैं आपको बतला रहे हैं जो कि दशम स्थान में पिता और गुरु की राशि में बैठा हुआ है गुरु की राशि में बैठ जाता है तो यह क्यों कि कर्म क्षेत्र पिता का स्थान भी कहा जाता है तो पैसों से लाभ के योग बनाता है दशम स्थान पर मंगल बैठता है उत्तम फल प्रदान करने वाला हो जाता है ऐसी स्थिति में राज्य संबंधों में सफलता की प्राप्ति होती है शत्रु पर प्रभाव होता है उनको देखने से भी बलवान बनाता है लेकिन कभी-कभी रोग आदि भी उत्पन्न कर देता है चतुर्थ स्थान को देख रहा है माता का स्थान है जैसे मैं परिश्रमी के कार्यों से सुख साधनों की वृद्धि होती है तुला राशि से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है जब तक मंगल मीन राशि में रहेगा उत्तम सफलता के योग प्रदान करता रहेगा जब मंगल का परिवर्तन मेष राशि पर होगा तो यह भी धन के विशेष मार्ग खुलेगा लेकिन कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है इस प्रकार से जो मंगल वर्तमान में गोचर कर रहा है उसी ने प्रियंका जी को राजनीतिक पद प्रदान किया और वर्तमान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनी है और इस प्रकार से जो ग्रह रहते हैं अपनी दशा अंतर्दशा के अनुसार जिस भी स्थिति में ग्रह गोचर करते हैं उनकी दशा अंतर्दशा में आती है तो अपना शुभ अशुभ फल प्रदान करते हैं उनसे हम अपने जीवन के संपूर्ण क्षेत्र को जान सकते हैं
आप भी अपनी कुंडली का सम्पूर्ण फलादेश जान सकते है mo.+91-7697961597 mukta jyotish
Thursday, 21 February 2019
शनिदेव के प्रकोप बचनेकरे शनिबार के उपाय
शनिदेव के प्रकोप बचनेकरे शनिबार के उपाय shanidev ke prkop se bachne kre ye upay
कई बार जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अशुभ फल होने, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या होने के कारण या फिर जातक द्वारा लगातार बुरे कर्म करने के कारण शनि ग्रह अशुभ फल देने लगता है। शनि देव को हमेशा से ही अनिष्टकारक, अशुभ और दुख प्रदान करने वाला माना जाता है लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। शनि देव अगर किसी से एक बार प्रसन्न हो जाएं तो उसकी जिंदगी को खुशियों से भर देते हैं।
ऐसे लोगों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और घर हमेशा धन से भरा रहता है।
शनि सूर्य पुत्र हैं और अपने पिता सूर्य से अत्यधिक होने के कारण प्रकाशहीन हैं इसलिए शनि ग्रह के बारे में नकारात्मक छवि बनाई गई है लेकिन विशेष परिस्थिति में शनि सुख सुविधाएं, वैभव और मोक्ष प्रदान करते हैं।
उपाय
शनि देव की अच्छी दृष्टि के लिए कुछ सरल उपाय हैं जिसे प्रयोग कर हम लाभ उठा सकते हैं।
-शनिवार को काले रंग की चिड़िया खरीदकर उसे दोनों हाथों से आसमान में उड़ा दें। आपके जीवन में जितनी भी तकलीफ होगी सब दूर हो जाएगी।
-शनिवार के दिन लोहे का त्रिशूल महाकाल शिव, महाकाल भैरव या महाकाली मंदिर में अर्पित करें। शत्रुओं का नाश होगा।
-शनि दोष के कारण अगर विवाह में देरी हो रही है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को 250 ग्राम काली राई, नए काले कपड़े में बांधकर पीपल के पेड़ की जड़ में रख आएं और शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।
-शनिचरी अमावस्या के दिन पुराना जूता चौराहे पर रख कर लौट आएं।
-धन लाभ के लिए शनिवार के दिन गेहूं पिसवाएं और उसमें कुछ काले चने भी मिला दें।
-किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को 10 बादाम लेकर हनुमान मंदिर में जाएं। 5 बादाम वहां रख दें और 5 बादाम लाकर किसी लाल वस्त्र में बांधकर धन के स्थान पर रख दें। कुछ ही दिनों में धन वृद्धि होने लगेगी।
-शनिवार के दिन बंदरों को काले चने, गुड़, केला खिलाएं सरसों के तेल का छाया पत्र दान करें।
-बहते पानी में नारियल विसर्जित करें।
-शनिवार को काली उड़द की दाल पीसकर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
-प्रत्येक शनिवार को आक के पौधे पर 7 लोहे की कीलें चढ़ाएं।
-लगातार 5 शनिवार शमशान घाट में लकड़ी का दान करें।
-शनिवार की रात सरसों का तेल हाथ और पैरों के नाखूनों पर लगाएं।
-शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
-चीटियों को 7 शनिवार काले तिल, आटा, शक्कर मिलाकर खिलाएं
-शनि शांति के लिए ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः या ऊँ शनैश्चराय नमः का जप करें।
-शनि शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
-सात मुखी रुद्राक्ष भी शनि शांति के लिए धारण कर सकते हैं।
Friday, 15 February 2019
महामृत्युंजय मंत्र संकटों का रक्षक --- प्रभाव करी प्रयोग
महामृत्युंजय मंत्र संकटों का रक्षक --- प्रभाव करी प्रयोग mahamrityunjay-jaap-ke-fayde
भगवान शिव जिन्हे महाकाल भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्रिदेवों में से एक हैं। शिव आराधना को मानव कल्याण के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। कलयुग में व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव की आराधना करना बहुत शुभ होता है। धन, व्यवसाय, सुख, समृद्धि, जीवनसाथी की प्राप्ति और रोगों से मुक्ति पाने के लिए देवों के देव महादेव की पूजा करना उपयुक्त होता है। महामृत्युंजय मंत्र भी भगवान शिव की आराधना में से एक है।
शास्त्रों में असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का विशेष उल्लेख मिलता है। यह मंत्र भगवान सही को प्रसन्न करने का मंत्र है। इसके प्रभाव से बड़े से बड़ा रोग और पीड़ा समाप्त हो जाती है।
मृत्यु अगर निकट आ जाए और महामृत्युंजय मंत्र का जप करने लगे तो यमराज भी जातक के प्राण नहीं हर पाते। शास्त्रों में इस मंत्र के महत्व और चमत्कार से जुडी कई कथाएं पढ़ने को मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र के कप के प्रभाव से लंबे समय से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है और मृत्यु के मुख तक पहुँच चुके व्यक्ति भी दीर्घायु का आशीर्वाद पाते हैं।
भगवान शिव की भांति अमरता प्राप्त करना किसी के लिए संभव नहीं लेकिन भगवान शिव की कृपा से मृत्यु के समय के कुछ समय के लिए बढ़ाया जा सकता है।
महामृत्युंज्य मंत्र का वैज्ञानिक कारण
विज्ञान के अनुसार, ध्वनि एनर्जी का एक रूप है। और मंत्र उच्चारण करने से मनुष्य के मुख से जो ध्वनि निकलती है वह शरीर में एनर्जी प्रवाहित करती है। मंत्र जप के दौरान मनुष्य पूरी तरह ध्यान में लीन होता है और योग साधना के अनुसार ध्यान मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति होती है और ध्यान शक्ति किसी भी रोग से मुक्त कराने में सक्षम होती है।
जानकारों के अनुसार, शरीर की आंतरिक रचना में ऐसे 84 केंद्र है, जहाँ प्राण ऊर्जा सघन और विरल रूप में मौजूद रहती है। जप के दौरान महामृत्युंजय मंत्र की ध्वनि, उन केंद्रों को सक्रिय करती है। वैज्ञानिक भाषा में कहें तो यह ध्वनि उन केंद्रों तक पहुँच कर एनर्जी को जागृत करती है। रोग का उपचार उस एनर्जी से ही होता है।
सरल भाषा में महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव रोगी को मृत्यु के भय से मुक्त कर देता है। क्योंकि रोगी का रोग ठीक हो जाए तो उसे मृत्यु का भय नहीं रहता। और यदि ठीक ना हो तो वो चिंता ही मनुष्य की शक्ति को क्षीण कर देती है और चेतना प्राण छोड़कर चली जाती है इसलिए कहा जाता है की महामृत्युंजय मंत्र जीवन की चेतना को प्रखर करता है।
महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।”
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।”
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
- अगर व्यक्ति की कुंडली में मास, गोचर और दशा, अंतर्दशा, स्थूलदशा आदि में किसी भी प्रकार की कोई पीड़ा है। तो महामृत्युंजय मंत्र का जप करके इस दोष को दूर किया जा सकता है।
- यदि किसी किसी महारोग से पीड़ित है तो भगवान शिव के महा मृत्युंजय मंत्र से रोग ठीक करने में मदद मिलती है। यह मंत्र रोगी की मृत्यु को भी टाल देता है।
- जमीन-जायदाद के बंटवारे की संभावना हो या किसी महामारी से लोगों की मृत्यु हो रही हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप बहुत फायदेमंद होता है।
- गृह कलेश, परिवार में दुःख या घर में अकाल मृत्यु हो रही हों तो ऐसे में रोजाना सुबह-शाम महा मृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। इससे सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
- अगर धन की हानि हो रही है या व्यवसाय ठीक प्रकार से चल नहीं पा रहा है तो महा मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।
- मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी महा मृत्युंजय मंत्र लाभकारी होता है।
- इस मंत्र के जाप से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं। आयु और यश की प्राप्ति होती है। यह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
- महा मृत्युंजय मंत्र का सवा लाख निरंतर जप करने से किसी भी बीमारी तथा अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभावों को खत्म किया जा सकता है।
महा मृत्युंजय मंत्र जाप की सावधानियां
महाकाल के इस मंत्र का जप करना बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय खास सावधानियां बरतनी चाहिए।
- मंत्र का जाप सही और शुद्ध उच्चारण में करें।
- मंत्र की निश्चित संख्या का जप करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का स्वर होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। अगर अभ्यास नहीं है तो धीमे स्वर में जाप करें।
- जाप के दौरान धुप-दीप जलते रहनी चाहिए।
- मंत्र का जप हमेशा रुद्राक्ष की माला से ही करें।
- माला को गोमुखी में रखें और जब तक मंत्र जप पूरा न हो जाए माला को गोमुखी से बाहर नहीं निकालें।
- मंत्र जप के समय कुशा के आसान पर बैठें।
- महामृत्युंजय मंत्र के जप के दौरान स्त्री भोग नहीं करना चाहिए।
- इस दौरान केवल मंत्र पढ़ने वाले मनुष्य को ही नहीं अपितु परिवार के किसी भी सदस्य को मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जप करते समय ध्यान पूरी तरह मंत्र उच्चारण में ही होना चाहिए।
- मंत्र का जप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।
- जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र का पास में रखना अनिवार्य है।
karj mukti ke sarl totke
karj mukti ke sarl totke कर्ज मुक्ति के टोटके
नारायण और लक्ष्मी पूजन
कर्ज से छुटकारा पाने के लिए सोमवार के दिन एक रुमाल में 5 गुलाब के फूल, 1 चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल और थोड़ा सा गुड़ रखें। उसके बाद किसी विष्णु-लक्ष्मी जी के मंदिर में जाकर मूर्ति के सामने रुमाल रखकर बाकी वस्तुओं को हाथ में लेकर 21 बार गायत्री मंत्र का जाप करें और बारी-बारी वस्तुओं को रुमाल में वापस डालते रहें। फिर सबको इकठ्ठा करें और कहें “मेरी समस्याएं दूर हो जाएं और मेरा कर्ज उतर जाए।” ऐसा 7 सोमवार तक करें। कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
गुलाब का फूल
कर्ज मुक्ति के लिए 5 गुलाब के खिले हुए फूल लें और उन्हें डेढ़ मीटर सफ़ेद कपडे में रखकर 21 बार गायत्री मंत्र पढ़ते हुए बांध दें। उसके बाद कर्ज लेने वाला खुद जाकर इन्हे जल में प्रवाहित कर दें। कर्ज जल्दी खत्म हो जाएगा।
Thursday, 14 February 2019
माणिक्य रत्न की जानकारी
माणिक्य रत्न की जानकारी
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। कहा जाता है कि जिस किसी की कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में होता है उसे माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। यह रत्न व्यक्ति को मान-सम्मान, पद की प्राप्ति करवाने में भी सहायक है। लेकिन माणिक्य पहनने से पहले जान ले कि दोषयुक्त माणिक्य लाभ की अपेक्षा हानि ज्यादा करता है। तो आइए जानते है कि क्या है वो सावधानियां:जानकारी ------
1. रत्न ज्योतिष के अनुसार जिस माणिक्य में आड़ी तिरछी रेखाएं या जाल जैसा दिखाई दे तो वह माणिक्य गृहस्थ जीवन को नाश करने वाला होता है।
2. जिस माणिक्य में दो से अधिक रंग दिखाई दें तो जान लीजिए कि यह माणिक्य आपकी लाइफ काफी परेशानियां ला सकता है।
3. कहा जाता है जिस माणिक्य में चमक नहीं होती ऐसा माणिक्य विपरीत फल देने वाला होता है। तो कभी भी बिना चमक वाला माणिक्य न पहने।
4. धुएं के रंग जैसा दिखने वाला माणिक्य अशुभ और हानिकारक माना जाता है। वहीं मटमैला माणिक्य भी अशुभ होता है। इसे खरीदने से पहले देख लें कि ये इस रंग का न हो।
रत्न सदेव कुंडली से परामर्श के बाद ही धारण करे
सक्सेस के 5 मंत्र जो सफलता हासिल करने मे सहायक
सक्सेस के 5 मंत्र जो सफलता हासिल करने मे सहायक
शनैः पन्थाः शनैः कन्था शनैः पर्वतलंघनम ।
शनैर्विद्या शनैर्वित्तं पञ्चतानि शनैः शनैः ॥
शनैर्विद्या शनैर्वित्तं पञ्चतानि शनैः शनैः ॥
(अर्थात धीरे-धीरे (या धैर्य के साथ) रास्ता तय करना, धीरे-धीरे चादर सिलना और धीरे-धीरे ही पहाड़ चढ़ना चाहिए। धीरे-धीरे विद्यार्जन, धीरे-धीरे धनोपार्जन करना चाहिए। यानी इन पांच कामों को निश्चित रूप से धैर्य के साथ करना चाहिए।)
आजकल हर कोई जल्दबाजी में है या उससे जल्दी की डिमांड की जाती है। लेकिन शायद जिंदगी की जठिल चुनौतियों से पार पाने में जल्दबाजी से सफलता हासिल नहीं की जाती। तभी तो सैकड़ों साल पहले प्राचीन ग्रंथों में ऊपर दी गई कहावत लिखी गई है। धैर्य के महत्व को बताते हुए हिन्दी में भी कहावत है, 'जल्दी काम शैतान का'। बहुत से कार्य चुनौती पूर्ण और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं ऐसे में उन्हें धैर्य के साथ ही पूरा किया जाना चाहिए
Monday, 11 February 2019
Sunday, 3 February 2019
मौनी अमावस्या 4 फरवरी 2019करे ये पुण्य कार्य mauni-amavasya-2019
मौनी अमावस्या 4 फरवरी 2019करे ये पुण्य कार्य
mauni-amavasya-2019
अमावस्या को मौनी अमावस्या, माघी अमावस्या कहा जाता है, इस वर्ष मौनी अमावस्या 4 फरवरी 2019, सोमवार को मनाई जा रही है। सोमवार को अमावस्या आने के कारण इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है। मौनी अमावस्या का दिन बहुत पवित्र होता है। इस दिन मौन व्रत धारण करने का अधिक महत्व माना गया है।
माघ मास की प्रत्येक तिथि पर्व है। अमावस्या के दिन जो लोग कुंभ या नदी, सरोवर के तट पर जाकर स्नान नहीं कर सकते, वो घर में गंगाजल डालकर स्नान करें तो अनंत फल की प्राप्ति होती है।इसी दिन कुंभ का दूसरा शाही स्नान भी संपन्न होगा
शास्त्रों में वर्णित है कि माघ मास में पूजन-अर्चन व नदी स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है तथा इन दिनों नदी में स्नान करने से स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग मिल जाता है।
* मौनी, माघी अमावस्या के दिन जप-तप, ध्यान-पूजन करने से विशेष धर्मलाभ प्राप्त होता है।
* मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर आचरण तथा स्नान-दान करने का विशेष महत्व है।
* माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से एक विशेष ऊर्जा प्राप्त होती है।
* इस दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
* अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करना चाहिए।
* इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान देकर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
* जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।
* जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगा जल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए।
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