महामृत्युंजय मंत्र संकटों का रक्षक --- प्रभाव करी प्रयोग mahamrityunjay-jaap-ke-fayde
भगवान शिव जिन्हे महाकाल भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्रिदेवों में से एक हैं। शिव आराधना को मानव कल्याण के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। कलयुग में व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव की आराधना करना बहुत शुभ होता है। धन, व्यवसाय, सुख, समृद्धि, जीवनसाथी की प्राप्ति और रोगों से मुक्ति पाने के लिए देवों के देव महादेव की पूजा करना उपयुक्त होता है। महामृत्युंजय मंत्र भी भगवान शिव की आराधना में से एक है।
शास्त्रों में असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का विशेष उल्लेख मिलता है। यह मंत्र भगवान सही को प्रसन्न करने का मंत्र है। इसके प्रभाव से बड़े से बड़ा रोग और पीड़ा समाप्त हो जाती है।
मृत्यु अगर निकट आ जाए और महामृत्युंजय मंत्र का जप करने लगे तो यमराज भी जातक के प्राण नहीं हर पाते। शास्त्रों में इस मंत्र के महत्व और चमत्कार से जुडी कई कथाएं पढ़ने को मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र के कप के प्रभाव से लंबे समय से बीमार व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है और मृत्यु के मुख तक पहुँच चुके व्यक्ति भी दीर्घायु का आशीर्वाद पाते हैं।
भगवान शिव की भांति अमरता प्राप्त करना किसी के लिए संभव नहीं लेकिन भगवान शिव की कृपा से मृत्यु के समय के कुछ समय के लिए बढ़ाया जा सकता है।
महामृत्युंज्य मंत्र का वैज्ञानिक कारण
विज्ञान के अनुसार, ध्वनि एनर्जी का एक रूप है। और मंत्र उच्चारण करने से मनुष्य के मुख से जो ध्वनि निकलती है वह शरीर में एनर्जी प्रवाहित करती है। मंत्र जप के दौरान मनुष्य पूरी तरह ध्यान में लीन होता है और योग साधना के अनुसार ध्यान मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति होती है और ध्यान शक्ति किसी भी रोग से मुक्त कराने में सक्षम होती है।
जानकारों के अनुसार, शरीर की आंतरिक रचना में ऐसे 84 केंद्र है, जहाँ प्राण ऊर्जा सघन और विरल रूप में मौजूद रहती है। जप के दौरान महामृत्युंजय मंत्र की ध्वनि, उन केंद्रों को सक्रिय करती है। वैज्ञानिक भाषा में कहें तो यह ध्वनि उन केंद्रों तक पहुँच कर एनर्जी को जागृत करती है। रोग का उपचार उस एनर्जी से ही होता है।
सरल भाषा में महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव रोगी को मृत्यु के भय से मुक्त कर देता है। क्योंकि रोगी का रोग ठीक हो जाए तो उसे मृत्यु का भय नहीं रहता। और यदि ठीक ना हो तो वो चिंता ही मनुष्य की शक्ति को क्षीण कर देती है और चेतना प्राण छोड़कर चली जाती है इसलिए कहा जाता है की महामृत्युंजय मंत्र जीवन की चेतना को प्रखर करता है।
महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।”
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।”
महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
महा मृत्युंजय मंत्र जाप की सावधानियां
महाकाल के इस मंत्र का जप करना बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय खास सावधानियां बरतनी चाहिए।
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