Wednesday, 27 February 2013

pratake budhvar kare saphlata ke liya ganpati aaradhana


pratake  budhvar   kare saphlata  ke liya ganpati   aaradhana 


प्रत्येक   बुधवार   करे   सफलता     के लिए   गणपति  आराधना


                                                                     श्री गणेश 










हिन्दू धर्म में नाकामियों से बचने के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ हर काम की शुरूआत विघ्रहर्ता श्रीगणेश की उपासना से की जाती है। श्रीगणेश विनायक नाम से भी पूजनीय है। विनायक पूजा और उपासना कार्य बाधा और जीवन में आने वाली शत्रु बाधा को दूर कर शुभ व मंगल करती है।
यही वजह है हर बुधवार को श्रीगणेश की उपासना बड़े से बड़े या मुश्किल काम की सफलता के लिए बहुत ही शुभ मानी गई है। जानिए बुधवार के दिन श्रीगणेश उपासना का एक सरल उपाय, जो कोई भी अपनाकर हर कार्य को सफल बना सकता है -
- बुधवार को सुबह और शाम दोनों ही वक्त यह उपाय किया जा सकता है।
- स्नान कर भगवान श्रीगणेश को कुमकुम, लाल चंदन, सिंदूर, अक्षत, अबीर, गुलाल, फूल, फल, वस्त्र, जनेऊ आदि पूजा सामग्रियों के अलावा खास तौर पर 21 दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा श्रीगणेश को विशेष रूप से प्रिय मानी गई है।
- विनायक को 21 दूर्वा चढ़ाते वक्त नीचे लिखे 10 मंत्रों को बोलें यानी हर मंत्र के साथ दो दूर्वा चढ़ाएं और आखिरी बची दूर्वा चढ़ाते वक्त सभी मंत्र बोलें। जानिए ये मंत्र -
ॐ गणाधिपाय नम:। ॐ  विनायकाय नम:। ॐ  विघ्रनाशाय नम:।
ॐ एकदंताय नम:। ॐ उमापुत्राय नम:। ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:।
ॐ ईशपुत्राय नम:। ॐ मूषकवाहनाय नम:। ॐ इषवक्त्राय नम:।
ॐ कुमारगुरवे नम:।
- मंत्रों के साथ पूजा के बाद यथाशक्ति मोदक का भोग लगाएं। 21 मोदक का चढ़ावा श्रेष्ठ माना जाता है। इनमें से 5 गणेशजी के लिए छोड़ें, 5 ब्राह्मणों को दान करें व बाकी सभी परिजनों व भक्तों में बांटने चाहिए।
- अंत में श्री गणेश आरती कर क्षमा प्रार्थना करें। काम में विघ्र बाधाओं से रक्षा की कामना करें।
muktajyotishs@gmail. com

Thursday, 21 February 2013

jaya akadshi aaj janiya eas vrat ki vidhi




jaya akadshi  aaj janiya  eas vrat ki vidhi 







जया एकादशी आज, जानिए इस व्रत का महत्व व संपूर्ण विधि









माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों में इसे अजा व भीष्म एकादशी भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। इस बार यह एकादशी 21 फरवरी, गुरुवार को है।
जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। जया एकादशी के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से निवेदन कर जया एकादशी का महात्म्य, कथा तथा व्रत विधि के बारे में पूछा था। तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि जया एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है। इस एकादशी का व्रत विधि-विधान करने से तथा ब्राह्मण को भोजन कराने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है।जया एकादशी की व्रत विधि इस प्रकार है-
जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जो श्रद्धालु भक्त इस एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें दशमी तिथि को एक समय आहार करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि आहार सात्विक हो।
एकादशी के दिन भगवान श्रीविष्णु का ध्यान करके संकल्प करें और फिर धूप, दीप, चंदन, फल, तिल, एवं पंचामृत से उनकी पूजा करें। पूरे दिन व्रत रखें संभव हो तो रात्रि में भी व्रत रखकर जागरण करें। अगर रात्रि में व्रत संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें जनेऊ व सुपारी देकर विदा करें फिर भोजन करें। इस प्रकार नियमपूर्वक जया एकादशी का व्रत करने से महान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार जो जया एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें पिशाच योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता।

Wednesday, 20 February 2013

janiya jab garibhi aa hai jay tab kya krana chahaiya



janiya  jab   garibhi    aa  hai jay     tab  kya    krana  chahaiya



जानिए जब गरीबी आ ही जाए तब क्या करना चाहिए










आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
तावद्भयेन भेतव्यं यावद् भयमनागतम्।
आगतं तु भयं वीक्ष्य प्रहर्तव्यमशङ्कया।।
इस श्लोक में आचार्य कहते हैं कि हमें किसी भी मुसीबत से तब तक ही डरना चाहिए जब वह आ न जाए। जैसे यदि कोई व्यक्ति अमीर है तो उसे गरीबी से डरना चाहिए। ऐसे काम करते रहना चाहिए जिससे जीवन में धन की कमी न हो।अक्सर मुसीबतें सभी के जीवन में आती हैं और लोग परेशानियों से डरते भी हैं। हमें किसी भी दुख, परेशानी या धन की कमी से तभी तक डरना चाहिए जब तक वह हमारे एकदम सामने ना आ जाए। जब तक किसी अमीर व्यक्ति के जीवन में धन है उसे गरीबी से डरना चाहिए लेकिन जब धन चले जाए तब उसे निडर हो जाना चाहिए।
धन के चले जाने पर व्यक्ति को निडर होकर कठोर परिश्रम करना चाहिए। कुछ लोग धन चले पर निराश हो जाते हैं और भाग्य को कोसने लगते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। निराश होने से समस्याएं समाप्त नहीं होती है। कठिन समय में साहस के साथ मुसीबतों को दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए। प्रयासों से ही पुन: धन प्राप्त किया जा सकता है।

Tuesday, 19 February 2013

funnyjoke



funnyjoke


                                   चुटुकुले

भई, हमें तो लड़का पसंद है!
लड़की वाले लड़के से " तुम नॉंनवेज खाते हो" ?
 
लड़का: " हां"। 
 
शराब?
 
"हां"
 
ड्रग्स?
 
"हां" 
 
जुआ?
 
"हां" 
 
सब कुछ नेगेटिव है, कुछ पॉज़िटिव भी है क्या?
 
लड़का: " हां जी, HIV पॉज़िटिव"!!!


शैतान बच्चे का रॉंन्ग नंबर
एक शैतान बच्चा किसी गलत नंबर से एक आदमी को फोन करता है, वह आदमी फोन उठाता है और बोलता है हैलो...
 
बच्चा: “ ऊलू पूलो खुलो”।
 
आदमी: “ कौन है बे ”??
 
बच्चा: “ एक इंसान ”।
 
आदमी: “ वो तो पता है नाम तो बोल ”।
 
बच्चा: “मैं एक गंदा बच्चा हूं”।
 
आदमी: “ तेरी तो ऐसी की तैसी ”... कहां रहता है तू ”...?? 
 
बच्चा: “पृथ्वी पर ”।
 
आदमी: “ वो तो पता है, फोन क्यों किया ”…??
 
बच्चा: “तुझे परेशान करने के लिए ”।
 
आदमी: “रुक साले! अपने बाप को बुला कमीने की औलाद”....
 
बच्चा: “हैलो पापा, मैं पप्पू ”......

Monday, 18 February 2013

kuber ki kripa se banei mala -mal



kuber  ki kripa  se banei   mala -mal




कुबेर   कि    कृपा    से   माला  -माल   बने ने करे    निम्न उपाय







महालक्ष्मी की कृपा के साथ ही कुबेर देव की कृपा प्राप्त हो जाए तो व्यक्ति के जीवन में पैसों से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। यहां जानिए एक छोटा सा और सरल उपाय जिससे कुबेर देव की कृपा भी प्राप्त हो जाती है...पैसा या धन रखने के लिए सभी के घरों में कोई स्थान होता ही है। कुछ लोग पैसा तिजोरी में रखते है तो कुछ अलमारी में, वहीं कुछ लोग अन्य सुरक्षित स्थान पर। चोरों से बचाने के लिए पैसा किसी विशेष जगह पर ही रखा जाता है। वास्तु अनुसार बताए गए स्थान पर पैसा रखने से आपका धन सुरक्षित तो रहेगा साथ ही उसमें बरकत भी होगी। आय के स्रोतों में बढ़ोतरी होगी।
शास्त्रों के अनुसार उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर का स्थान माना जाता है। उत्तर दिशा का प्रभाव गृहस्वामी के धन की सुरक्षा और समृद्धि देने वाला माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार गृहस्वामी को अपने नकद धन को उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
पुराने जमाने में राजे-रजवाड़े धन और मूल्यवान वस्तुओं के लिए अलग व्यवस्था रखते थे लेकिन आज के समय में यह सभी लोगों के लिए यह संभव नहीं है कि पैसा रखने के लिए अलग कमरा या अलग व्यवस्था कर सके। इसलिए व्यक्ति को अपना धन उत्तर दिशा में रखना चाहिए। नकद, गहनों एवं अन्य कीमती चीजों को उत्तर दिशा में किसी खास स्थान पर रखना बहुत शुभ फल देने वाला होता हैं। यदि उत्तर दिशा में पूजा स्थान है तो उसके आसपास धन रखना उत्तम होता है। धन को इस स्थान पर रखने से धन में तेजी से वृद्धि होने लगती है।कुछ वास्तुशास्त्रियों के अनुसार नकद धन को उत्तर में रखना चाहिए और रत्न, आभूषण आदि दक्षिण में रखना चाहिए। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि नकद धन आदि हल्के होते है इसलिए इन्हें उत्तर दिशा में रखना वृद्धिदायक माना जाता है। रत्न आभूषण में वजन होता है इसलिए इन्हें कहीं भी नहीं रखा जा सकता है। इसके लिए तिजोरी या अलमारी की आवश्यकता होती है और ये काफी भारी होती है। इसलिए दक्षिण दिशा में आभूषण आदि रखने को उतम माना जाता है।

Saturday, 16 February 2013

hanuman ji ke 12 chmatkari nam

          हनुमान  जी के 12 चमत्कारी नाम
 hanuman   ji ke   12    chmatkari       name






               हनुमान  जी   के 12 नाम



सभी कार्यो   में सफलता देने   वाले है  एवमशनि    कि साढ़े  सातीमें   भी अति लाभ करी है |
1 -----जय हनुमान

2 -------अंजनी   सुत


3--------- वायु पुत्र


4--------महावली


5----------रामेष्ट

6 ------------फल्गुन सखा


7 --------पिंगाक्ष

8---------अमित विक्रम

9 -------उदधिक्रमणा


10 --------सीता  शोक विनाशन

11 ----------लक्ष्मण   प्राण दाता


12---------दश  ग्रीवाह  दर्पह



by---->muktajyotishs@gmail.com

Friday, 15 February 2013

sarsvsti dhan mantr



  

 sarsvsti dhan mantr 





    सरस्वती ध्यान मंत्र  2 1  बार ---->     जाप  करे नित्यप्रति दिन    

                      
                                  स्मरण शक्ति बढने  के लिए














सनातन धर्म की कण-कण में बसे भगवान की भावना उजागर करती है कि मां सरस्वती ही बुद्धि व विवेक शक्ति हैं। महासरस्वती की महाकाली व महालक्ष्मी के साथ पूजा के पीछे भी यही सूत्र है कि ताकत व धन की सार्थकता बुद्धि व विवेक के साथ ही है।
व्यावहारिक नजरिए से जीवन के हर निर्णय में सही और गलत की समझ अहम होती है। निर्णय क्षमता को असरदार बनाती है स्मरण शक्ति, खासतौर पर आज प्रतियोगी दौर में मानसिक कमजोरी पिछड़ने पर मजबूर करती है।
यही वजह है कि दिमाग को तंदुरुस्त रखने के लिए जीवनशैली को नियमित बनाने के अलावा धार्मिक उपायों में बसंत पंचमी पर तो देवी सरस्वती का विशेष मंत्र से सुबह ध्यान बड़ा ही शुभ माना गया है विशेष सरस्वती ध्यान मंत्र स्तुति व उपाय -
मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए शास्त्रों में बताए मां सरस्वती की इस मंत्र प्रार्थना का ध्यान माता को सफेद पूजा सामग्रियां चढ़ाकर करें, दूध की मिठाई का भोग लगाएं व आरती भी करें-
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।


विद्या   में   सर्वोत्तम   सफलता   के लिए   अनेक गुप्त उपाय   ----email----> muktajyotishs@gmail.com

Thursday, 14 February 2013

apni gupt bhatai kisi ko n batayआचार्य चाणक्य


apni  gupt bhatai  kisi ko n batayआचार्य चाणक्य 



अपनी गुप्त बातें किसी को न बताए






                                     आचार्य चाणक्य 









इस संबंध में आचार्य चाणक्य बताया है कि-
न विश्वसेत् कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्।
कदाचित् कुपितं मित्रं सर्वगुह्यं प्रकाशयेत्।।
इसका अर्थ है कि अपनी गुप्त बात के लिए किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। यदि कोई मित्र बुरे स्वभाव वाला है तो उस पर तो कभी भी अपनी राज की बातें जाहिर न होने दें। यहां तक कि जो आपके अच्छे मित्र हैं उन्हें भी 
ऐसी बातें नहीं बताना चाहिए क्योंकि जब उस व्यक्ति से मित्रता बिगड़ जाए तो वह आपको क्षति भी पहुंचा सकता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति स्वभाव से अच्छा न हो उस पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि अधिकांश आपराधिक घटनाओं के पीछे जान-पहचान वाले लोगों का ही हाथ होता है। इसी वजह से कहा जाता है कि घर का भेदी लंका ढहाए। यह कहावत आज भी पूरी तरह सत्य है।

यदि किसी मित्र को भी अपनी राज की बातें बताई जाती हैं तो यह भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में यदि किसी भी परिस्थिति में उस मित्र से मन-मुटाव या विवाद हो तो वह इन गुप्त बातों का अनुचित लाभ उठाकर आपको नुकसान अवश्य पहुंचाएगा। अत: अपनी गुप्त बातें किसी पर भी जाहिर न करें।

teji aor mandi



तेजी   ओर मंदी 

teji   aor mandi


सोना चांदी में मंदी ता.14 
अनाज रुईचांदी में मंदी 15 |
रुई चांदी में मंदी 16 ता, |

Wednesday, 13 February 2013

sury rekha aor jiven mai bhrpur man- samman aor paesa





sury rekha  aor jiven mai bhrpur man- samman aor paesa 




 सूर्य रेखा और जीवन में भरपूर मान-सम्मान और पैसा 





sury rekha  aor jiven mai bhrpur man- samman aor paesa 






 सूर्य रेखा और जीवन में भरपूर मान-सम्मान और पैसा 


हाथों में दिखाई देने वाली रेखाएं और हमारे भविष्य का गहरा संबंध है।
मान-सम्मान और पैसों की स्थिति बताने वाली रेखा सूर्य रेखा कहलाती है। यह रेखा अनामिका अंगुली के ठीक नीचे वाले भाग सूर्य पर्वत पर होती है। इसी वजह से इसे सूर्य रेखा कहा जाता है। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में ये रेखा दोष रहित हो तो उसे जीवन में भरपूर मान-सम्मान और पैसा प्राप्त होता है। सामान्यत: ये रेखा सभी के हाथों में नहीं होती हैकई परिस्थितियों में ये रेखा होने के बाद भी व्यक्ति को पैसों की तंगी भी झेलना पड़ सक ती है।

सूर्य रेखा रिंग फिंगर यानि अनामिका अंगुली के नीचे वाले हिस्से पर होती है। हथेली का ये भाग सूर्य पर्वत कहलाता है। यहां खड़ी रेखा हो तो वह सूर्य रेखा कहलाती है। यह रेखा सूर्य पर्वत से हथेली के नीचले हिस्से मणिबंध या जीवन रेखा की ओर जाती है। सूर्य  रेखा यदि अन्य रेखाओं से कटी हुई हो या टूटी हुई हो तो इसका शुभ प्रभाव समाप्त हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के हाथों में जीवन रेखा से निकलकर सूर्य रेखा अनामिका अंगुली की ओर जाती है तो व्यक्ति को भाग्यशाली बनाती है। ऐसे लोग जीवन में सभी सुख और सुविधाओं के साथ मान-सम्मान भी प्राप्त करते हैं।
जिनके हाथों में सूर्य रेखा बृहस्पति पर्वत (इंडेक्स फिंगर के नीचे वाला भाग बृहस्पति पर्वत कहलाता है।) तक जाती है। बृहस्पति पर्वत पर पहुंचकर सूर्य रेखा के अंत में यदि किसी तारे का चिह्न बना हो तो ऐसा व्यक्ति किसी राज्य का बड़ा अधिकारी हो सकता है। 
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य पर्वत (अनामिका की अंगुली यानी रिंग फिंगर के ठीक नीचे वाला भाग सूर्य पर्वत कहलाता है।) पर पहुंचकर सूर्य रेखा की एक शाखा शनि पर्वत (मीडिल फिंगर के नीचे वाला भाग शनि पर्वत कहलाता है।) की ओर तथा एक शाखा बुध पर्वत (सबसे छोटी अंगुली के ठीक नीचे वाला भाग बुध पर्वत होता है।) की ओर जाती हो तो ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान, चतुर, गंभीर होता है। ऐसे लोग समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं और बहुत पैसा कमाते हैं।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा लहरदार होती है तो व्यक्ति किसी भी कार्य को एकाग्रता के साथ नहीं कर पाता है। यह रेखा यदि बीच में लहरदार हो और सूर्य पर्वत पर सीधी एवं सुंदर हो गई हो तो व्यक्ति किसी कार्य में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर लेता है।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य रेखा न हो तो इसका मतलब यह नहीं माना जा सकता है कि व्यक्ति जीवन में सफल नहीं होगा। सूर्य रेखा कुछ लोगों के हाथों में नहीं होती है। सूर्य रेखा जीवन में व्यक्ति की सफलता को आसान बनाती है
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में सूर्य के साथ ही एक या एक से अधिक खड़ी समानांतर रेखाएं चल रही हों तो यह सूर्य रेखा का शुभ प्रभाव और अधिक बढ़ा देती हैं। इस प्रकार की रेखाओं के कारण व्यक्ति समाज में प्रसिद्ध होता है और धन-ऐश्वर्य प्राप्त करता है।हथेली में सूर्य रेखा जितनी लंबी और स्पष्ट होती है उतना अधिक अच्छा प्रभाव देती है। यदि यह रेखा अन्य रेखाओं से कटी हुई हो या बीच-बीच में टूटी हुई हो तो यह दुष्प्रभाव देती है। लंबी, साफ-स्पष्ट सूर्य रेखा होने पर व्यक्ति बुद्धिमान होता है। यदि सूर्य रेखा पर कोई द्विप चिह्न हो या क्रॉस का निशान हो तो व्यक्ति को यह दुख देने वाले संकेत होते हैं। ऐसे लोग कठिनाइयों के साथ कार्य को पूरा करते हैं और फिर भी इन्हें उचित प्रतिफल प्राप्त नहीं हो पाता है।यदि सूर्य रेखा की छोटी-छोटी शाखाएं निकल रही हों और वे ऊपर अंगुलियों की ओर जा रही हो तो यह शुभ लक्षण होता है। इसके विपरित यदि सूर्य रेखा से छोटी-छोटी शाखाएं निकलकर नीचे की ओर जा रही हो तो यह सूर्य रेखा को कमजोर करती हैं।
सूर्य रेखा पर बिंदु के चिह्न हो तो व्यक्ति को अशुभ प्रभाव दर्शाते हैं। ऐसे रेखा वाले इंसान की बदनामी होने का भय बना रहता है। बिंदु यदि अधिक गहरे हों तो यह समाज में अपमान होने का संकेत हो सकता है। अत: ऐसी रेखा वाले इंसान को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए।सूर्य रेखा पर बिंदु के चिह्न हो तो व्यक्ति को अशुभ प्रभाव दर्शाते हैं। ऐसे रेखा वाले इंसान की बदनामी होने का भय बना रहता है। बिंदु यदि अधिक गहरे हों तो यह समाज में अपमान होने का संकेत हो सकता है। अत: ऐसी रेखा वाले इंसान को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए।यदि किसी व्यक्ति के हाथ में ये रेखा न हो तो उसे समाज में मान-सम्मान बड़ी कठिनाइयों से प्राप्त होता है। साथ ही पैसा कमाने में भी कड़ी मेहनत करना पड़ती है। सूर्य रेखा का संबंध सूर्य देव से है। सूर्य मान-सम्मान का कारक ग्रह है। अत: सूर्य रेखा के दोषों को दूर करने के लिए सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए।

Monday, 11 February 2013

kya aap jante hai kale ghode ki ye ak chmatkari chij

kya  aap jante hai kale ghode ki ye ak chmatkari
chij

क्या आप जानते हैं काले घोड़े की ये 1 चीज होती है चमत्कारी




















क्या आपके जीवन में अत्यधिक परेशानियां चल रही हैं? क्या आपकी परेशानियों की वजह धन की कमी है? क्या आपकी कुंडली में शनि ग्रह का कोई दोष है? क्या आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रही है
शनि के अशुभ होने पर छोटे-छोटे कार्यों में भी कड़ी मेहनत करना पड़ती है। परिवार संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साढ़ेसाती का समय साढ़े सात साल तक रहता है और ढय्या ढाई साल तक रहती है। जिन राशियों पर साढ़ेसाती या ढय्या रहती है उन्हें या तो अधिक लाभ प्राप्त होता है या कठिन समय का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि के दोषों को दूर करने के लिए कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। इन उपायों में से सबसे सस्ता और कारगर उपाय है काले घोड़े की नाल का छल्ला पहनना। काले घोड़े की नाल पहनने से शनि संबंधी अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगते हैं।
ज्योतिष के अनुसार काले घोड़े के पैरों में लगी लोहे की नाल बहुत चमत्कारी होती है। क्योंकि इसे पहनने से शनि दोषों की शांति हो जाती है। हमेशा से ही शनि की साढ़ेसाती और ढय्या को लेकर लोगों में भय बना रहता है। अधिकतर राशियों पर शनि की सीधी नजर रहती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि शुभ स्थिति में है तो उन लोगों को जीवन में कम मेहनत में भी सफलताएं प्राप्त हो जाती हैं। जबकि अशुभ स्थिति वाला शनि व्यक्ति को काफी कष्ट प्रदान करता है।
शनिदेव न्याय के देवता है। जो प्राणी मेहनत और ईमानदारी के साथ कर्म करते हैं उन्हें शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। घोड़ा सभी जीवों में बहुत ही मेहनती जीव है, यदि घोड़ा पूरी तरह स्वस्थ है तो वह अपने जीवन में कभी बैठता तक नहीं है। हमेशा अपने पैरों पर खड़ा रहता है। इसी वजह से शनिदेव को घोड़ा अत्यंत प्रिय है। हमेशा खड़ा रहने के कारण घोड़े के पैरों में लगी नाल भी चमत्कारी हो जाती है। शनिदेव श्याम वर्ण यानी काले हैं इसी वजह से काले रंग से भी इन्हें विशेष स्नेह है। काले घोड़े के पैरों में लगी नाल जो व्यक्ति पहनता है उसे शनि के दोषों से मुक्ति मिल जाती है और उसे घोड़े के समान कार्य करने की ऊर्जा भी मिलती है।

shivpuran mai batagay shiv bhikti ke 5 sabsai asardar uapay





 शिवपुराण में बताए शिव भक्ति के 5 सबसे असरदार उपाय



shivpuran  mai batagay shiv bhikti ke 5 sabsai asardar uapay 













शास्त्रो में भगवान शिव को वेद या ज्ञान स्वरूप माना गया है। इसलिए शिव भक्ति मन की चंचलता को रोक व्यक्ति को दुःख व दुर्गति से बचाने वाली मानी जाती है। भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए ही धर्म व लोक परंपराओं में अभिषेक, पूजा व मंत्र जप आदि किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तन, मन और वचन के स्तर पर सच्ची शिव भक्ति, उपासना, साधना और सेवा के सही तरीके या विधान क्या हैं? इसका जवाब शिवपुराण में मिलता है, जिसमें शिव सेवा को 'शिव धर्म' भी बताया गया है। जानिए, शिव भक्ति और सेवा के ये खास तरीके -
शिवपुराण के मुताबिक भक्ति के तीन रूप हैं। यह है मानसिक या मन से, वाचिक या बोल से और शारीरिक यानी शरीर से। सरल शब्दों में कहें तो तन, मन और वचन से देव भक्ति।
इनमें भगवान शिव के स्वरूप का चिन्तन मन से, मंत्र और जप वचन से और पूजा परंपरा शरीर से सेवा मानी गई है। इन तीनों तरीकों से की जाने वाली सेवा ही शिव धर्म कहलाती है। इस शिव धर्म या शिव की सेवा के भी पांच रूप हैं, जो शिव भक्ति के 5 सबसे अच्छे उपाय भी माने जाते हैं। 
ध्यान - शिव के रूप में लीन होना या चिन्तन करना ध्यान कहलाता है।

कर्म - लिंगपूजा सहित अन्य शिव पूजन परंपरा कर्म कहलाते हैं।
तप - चान्द्रायण व्रत सहित अन्य शिव व्रत विधान तप कहलाते हैं।
जप - शब्द, मन आदि द्वारा शिव मंत्र का अभ्यास या दोहराव जप कहलाता है।
ज्ञान - भगवान शिव की स्तुति, महिमा और शक्ति बताने वाले शास्त्रों की शिक्षा ज्ञान कही जाती है।
इस तरह शिव धर्म का पालन या शिव की सेवा हर शिव भक्त को बुरे कर्मों, विचारों व इच्छाओं से दूर कर शांति और सुख की ओर ले जाती है।


chanakya niti paisa aur kamyabi chahiye to hamesha dhyaan rakhe ye baate


chanakya niti paisa aur kamyabi chahiye to hamesha dhyaan rakhe ye baate

पैसा और कामयाबी चाहिए तो हमेशा ध्यान रखना चाहिए ये बातें



सफलता और सुख उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो हमेशा ही चिंतन और मनन के बाद कार्य करता है। जो लोग लक्ष्य प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते रहता है वही कुछ उल्लेखनीय कार्य कर पाता है। यहां जानिए इस संबंध में आचार्य चाणक्य की एक खास नीति...

आचार्य कहते हैं कि-
हौं केहिको का मित्र को, कौन काल अरु देश।
लाभ खर्च को मित्र को, चिंता करे हमेशा।
इस दोहे में बताया गया है कि व्यक्ति को हर समय कुछ बातों का ज्ञान होना चाहिए। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है जिसे इन छ: प्रश्नों के उत्तर हमेशा मालुम रहते हो। समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान में कैसा समय चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता हैं। हमें यह भी मालुम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं? क्योंकि अधिकांश परिस्थितियों में मित्रों के वेश में शत्रु भी आ जाते हैं। जिनसे बचना चाहिए।
व्यक्ति को यह भी मालुम होना चाहिए कि जिस जगह वह रहता है वह कैसी हैं? वहां का वातावरण कैसा हैं? वहां का माहौल कैसा है? इन बातों के अलावा सबसे जरूरी बात हैं व्यक्ति को उसकी आय और व्यय की पूरी जानकारी होना चाहिए। व्यक्ति की आय क्या है उसी के अनुसार उसे व्यय करना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि समझदार इंसान को मालुम होना चाहिए कि वह कितना योग्य है और वह क्या-क्या कुशलता के साथ कर सकता है। जिन कार्यों में हमें महारत हासिल हो वहीं कार्य हमें सफलता दिला सकते हैं। इसके साथ व्यक्ति को यह भी मालुम होना चाहिए कि उसका गुरु या स्वामी कौन हैं? और वह आपसे चाहता क्या हैं?
इस प्रकार हर व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि अभी समय कैसा है? मित्र कौन हैं? यह देश कैसा है? मेरी कमाई और खर्च क्या हैं? मैं किसके अधीन हूं? और मुझमें कितनी शक्ति है? इन छ: बातों को हमेशा ही सोचते रहना चाहिए और इसी के अनुसार कार्य करना चाहिए।


Sunday, 10 February 2013

panchak mai ye 5 kaam na kare

panchak mai  ye 5 kaam na kare
भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। यानी घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) होते है उन्हे पंचक कहा जाता है।

 
नक्षत्रों का प्रभाव
- धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
- शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
- पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है।
- उतराभाद्रपद में धन के रूप में दण्ड होता है।
- रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।
1- पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन इकट्ठा नही करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
2- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
3- पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
4- पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
5- पंचक में शव का अंतिम संस्कार नही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है।
यदि परिस्थितीवश किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें तो परिवार में इस दोष से और किसी की मृत्यु नही होती एवं पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

ज्योतिष

सूर्यके कष्ट से बचने के लिए माघ में करे सूर्य पदार्थ से स्नान ------>खस मध् कुकुम देवदार इलायची लाल फूल आदि जल में डालकर सूर्य वारको सूर्य उदय से पहले करे |

Friday, 8 February 2013

Thursday, 7 February 2013

jyotish


मुक्ता ज्योतिष समाधानकेंद्र
ष टवगीर्य  जन्म कुंडली  में शिक्षा नोकरी व्यवसाय संतान  विवाह एवम मगल विचार  व दुकान
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Wednesday, 6 February 2013

Tuesday, 5 February 2013

भद्रा विचार

आज 3:26 मिनट से भद्रा रात्रि2:15 तक शुभ कायो न क

Monday, 4 February 2013

Sunday, 3 February 2013

ज्ञान

यदि मनुष्यसब घटनाओं को भगबान का मात्र प्रसाद समझे तो उसे कोई दुःख न हो

Friday, 1 February 2013

कुंडली में अशुभ एवम दरिद्रयोग


आपकी कुंडली में अशुभ एवम दारिद्र्य  योग
प्रत्येक  व्यक्ति अपनी कुंडली में राज योग का फल पाना चाहता हें   लेकिन व्यक्ति वह कुंडली   के अशुभएवम  दरिद्र योग  पर कभी ध्यान नहीं देता जो व्यक्तिके  जीवन में सदेव प्रभाव डालते हें इन्ही योग का फल जीवन में ग्रहओ  के बल युक्ति के अनुसार जीवन में कष्ट परेशनी आती है |
विशेष दरिद्र योग ----->शकटयोग ->जन्म कुंडली में जब चन्द्रसे गुरु 6, 8 ,या 12 भाव में एवम लग्न से गुरु केंद्र में न हो तो शकट योग बनता है |
पाप कर्तरीयोग --------->लग्न से 2 व 12 भाव में अशुभ एवम पाप ग्रह बैठे  हो |
केमद्रुम योग ------------->जब चद्रमा के दोनों ओर कोइ ग्रह न हो तो यह योग बनता है |
अशुभ योग ------------->जब लग्न पाप ग्रहओ से युक्त हो तब अशुभ योग् बनता है|
दरिद्र योग ---------------->जब कुंडली के चारो केंद्र खालीहो तब यह योग होता है |
युग योग ----------------->जब सभी ग्रह [सात ]ग्रह राहु एवम केतु को नहीं गिनते हें दो स्थानों में हो तो व्यक्ति जीवन में दुखी रहता है |
गोल योग ----------->जब सभी सात ग्रह एक भाव में होतो भी व्यक्ति गरीब दुखी तनाव ग्रस्त रहता है |
ज्योतिष शास्त्रों में ऐसे अनेकोअशुभ एवम दरिद्र योग वर्णित है जो सम्पूर्ण कुंडली को प्रभावित करते है उपरोक्त योग में से यदि एक ,दो या कुछ योग बनते है तो आपको अपने जीवन में कर्ज  तनाव दुःख धोखा एवम असफलता आदि का सामना आपको जीवन में करना पड़ता है
अत:कुंडली के सभी शुभ एवम अशुभ योग देखने के बाद ही राज योग का फल कहना चाहिए  क्योंकिबहुत से ऐसे लोग आते है ओर कहते कि मेरी कुंडली में राजयोग बतया गया है लेकिन आज तक कुछ नहीं घटा |करण यहीहै  कि सम्पूर्ण कुंडली के गहन अध्यन में कमी जो फलित को प्रभवित करती है अत:गहनतम अध्यन से फलित पूर्णत सत्य निकलती है
लेखिका -मुक्ता राज नारायणदीक्षित
email-muktajyotishsgmail.com
mo.-7697961597