Friday, 1 February 2013

कुंडली में अशुभ एवम दरिद्रयोग


आपकी कुंडली में अशुभ एवम दारिद्र्य  योग
प्रत्येक  व्यक्ति अपनी कुंडली में राज योग का फल पाना चाहता हें   लेकिन व्यक्ति वह कुंडली   के अशुभएवम  दरिद्र योग  पर कभी ध्यान नहीं देता जो व्यक्तिके  जीवन में सदेव प्रभाव डालते हें इन्ही योग का फल जीवन में ग्रहओ  के बल युक्ति के अनुसार जीवन में कष्ट परेशनी आती है |
विशेष दरिद्र योग ----->शकटयोग ->जन्म कुंडली में जब चन्द्रसे गुरु 6, 8 ,या 12 भाव में एवम लग्न से गुरु केंद्र में न हो तो शकट योग बनता है |
पाप कर्तरीयोग --------->लग्न से 2 व 12 भाव में अशुभ एवम पाप ग्रह बैठे  हो |
केमद्रुम योग ------------->जब चद्रमा के दोनों ओर कोइ ग्रह न हो तो यह योग बनता है |
अशुभ योग ------------->जब लग्न पाप ग्रहओ से युक्त हो तब अशुभ योग् बनता है|
दरिद्र योग ---------------->जब कुंडली के चारो केंद्र खालीहो तब यह योग होता है |
युग योग ----------------->जब सभी ग्रह [सात ]ग्रह राहु एवम केतु को नहीं गिनते हें दो स्थानों में हो तो व्यक्ति जीवन में दुखी रहता है |
गोल योग ----------->जब सभी सात ग्रह एक भाव में होतो भी व्यक्ति गरीब दुखी तनाव ग्रस्त रहता है |
ज्योतिष शास्त्रों में ऐसे अनेकोअशुभ एवम दरिद्र योग वर्णित है जो सम्पूर्ण कुंडली को प्रभावित करते है उपरोक्त योग में से यदि एक ,दो या कुछ योग बनते है तो आपको अपने जीवन में कर्ज  तनाव दुःख धोखा एवम असफलता आदि का सामना आपको जीवन में करना पड़ता है
अत:कुंडली के सभी शुभ एवम अशुभ योग देखने के बाद ही राज योग का फल कहना चाहिए  क्योंकिबहुत से ऐसे लोग आते है ओर कहते कि मेरी कुंडली में राजयोग बतया गया है लेकिन आज तक कुछ नहीं घटा |करण यहीहै  कि सम्पूर्ण कुंडली के गहन अध्यन में कमी जो फलित को प्रभवित करती है अत:गहनतम अध्यन से फलित पूर्णत सत्य निकलती है
लेखिका -मुक्ता राज नारायणदीक्षित
email-muktajyotishsgmail.com
mo.-7697961597

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