Wednesday, 20 February 2013

janiya jab garibhi aa hai jay tab kya krana chahaiya



janiya  jab   garibhi    aa  hai jay     tab  kya    krana  chahaiya



जानिए जब गरीबी आ ही जाए तब क्या करना चाहिए










आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
तावद्भयेन भेतव्यं यावद् भयमनागतम्।
आगतं तु भयं वीक्ष्य प्रहर्तव्यमशङ्कया।।
इस श्लोक में आचार्य कहते हैं कि हमें किसी भी मुसीबत से तब तक ही डरना चाहिए जब वह आ न जाए। जैसे यदि कोई व्यक्ति अमीर है तो उसे गरीबी से डरना चाहिए। ऐसे काम करते रहना चाहिए जिससे जीवन में धन की कमी न हो।अक्सर मुसीबतें सभी के जीवन में आती हैं और लोग परेशानियों से डरते भी हैं। हमें किसी भी दुख, परेशानी या धन की कमी से तभी तक डरना चाहिए जब तक वह हमारे एकदम सामने ना आ जाए। जब तक किसी अमीर व्यक्ति के जीवन में धन है उसे गरीबी से डरना चाहिए लेकिन जब धन चले जाए तब उसे निडर हो जाना चाहिए।
धन के चले जाने पर व्यक्ति को निडर होकर कठोर परिश्रम करना चाहिए। कुछ लोग धन चले पर निराश हो जाते हैं और भाग्य को कोसने लगते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। निराश होने से समस्याएं समाप्त नहीं होती है। कठिन समय में साहस के साथ मुसीबतों को दूर करने का प्रयास करते रहना चाहिए। प्रयासों से ही पुन: धन प्राप्त किया जा सकता है।

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