Sunday, 10 February 2013

panchak mai ye 5 kaam na kare

panchak mai  ye 5 kaam na kare
भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चन्द्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। यानी घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद एवं रेवती) होते है उन्हे पंचक कहा जाता है।

 
नक्षत्रों का प्रभाव
- धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
- शतभिषा नक्षत्र में कलह होने के योग बनते हैं।
- पूर्वाभाद्रपद रोग कारक नक्षत्र होता है।
- उतराभाद्रपद में धन के रूप में दण्ड होता है।
- रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना होती है।
1- पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन इकट्ठा नही करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
2- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नही करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा करना हानिकारक माना गया है।
3- पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो उस समय घर की छत नहीं बनाना चाहिए, ऐसा विद्वानों का मत है। इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है।
4- पंचक में चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से कोई बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
5- पंचक में शव का अंतिम संस्कार नही करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पंचक में शव का अन्तिम संस्कार करने से उस कुटुंब में पांच मृत्यु और हो जाती है।
यदि परिस्थितीवश किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक अवधि में हो जाती है तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश से बनाकर अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह पूर्ण विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें तो परिवार में इस दोष से और किसी की मृत्यु नही होती एवं पंचक दोष समाप्त हो जाता है।

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