Sunday, 12 May 2013

akshaya tritiya

akshaya  tritiya

 अक्षय तृतीया का माहात्म्य






शास्त्रों में अक्षय तृतीया एवं अक्षय तृतीया का माहात्म्य
 शुभ व पूजनीय कार्य इस दिन होते हैं, जिनसे प्राणियों (मनुष्यों) का जीवन धन्य हो जाता है।
# इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
# श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हु‌आ था।
#  इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।*
#  नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
#  हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हु‌आ था।
#  वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
# जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
#  इस दिन परशुरामजी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।
#  श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
अक्षयतृतीया में शादी  विवाह  सोलहसस्कार एवम           वस्तुऔ  का क्रय भूमि  वाहन दान पूजा  आदि करने  से अक्षयं पुण्य कि प्राप्ति होती है                         

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