Monday, 20 May 2013

kal srp yog aor aap

काल सर्प योग  ओर आप 
kal srp yog aor aap




लग्न से लेकर सप्तम भाब के मध्य जब सभी ग्रहराहू केतु के बीचमें  आते है तो यह योग बनता है 

फल ->सघर्षमय जीवन विवाहित जीवन  कष्टमय कुटुम्ब को  छोड़ देना मुसीबते हा नी मानसिक परेशानी एवम अकारण भय  पीछानहीं छोड़ता  है 





दुसरे भाब से लेकर अष्टम भाब के मध्य जब सभी ग्रह राहु केतु के मध्य आते तब यह योग बनता है |


फल ---> धन को लेकर जीवन में उतार चढ़ाव  संघर्ष  रहता है  अपयंश अनेक परेशानी खर्च की अधिकता 

होती है आय की कमी पैसा  पास में नहीं टिकता धन धीरे धीरे जाने  लगे  अनहोनी धटनाये मानसिक अशांति 


धन प्रप्ति प्रयास असफल होते है |




जब तीसरे से नवम पर्यन्त ग्रह स्थित  हो राहुकेतु तीसरे एवम नवम में हो तब यह योग बनता है 


फल -->कुटुंब भाई बहनों की ओर से परेशानी मित्रो से धोका नोकरी धंधा में उलझन भाग्य का सुख नहीं मिलता धन  कामता है पर बदनामी लगी रहती है परिजनों के करणमुसीबत मानसिक तनाव ,यश पद के लिए पराक्रम  व् सघर्ष  करता है |






राहु -केतु चतुर्थ से दशम तक एवम इनके मध्य सभी ग्रह रहने से यह योग बनता है |



फल -->माता वाहन भूमि भवन नोकर -चा करआदि से परेशानी पिता या पति की ओर से कष्ट  विद्या में 

व्यापार में हानितनाव   विश्वासघातहमेशा अनुभव में  आते है सुख बाधा आती है |





राहु -केतु में पंचम से ग्यारहवे भाव पर्यन्त तथा अन्यसभी ग्रह इनकेमध्य में रहते है तब यह योग बनता है |


फल -->सन्तान विद्या में रुकावट  पुत्र की चिंता गुप्त शत्रु  जीवन साथी विश्वासपात्रनहीं मिलता लाभ में रुकावटमन में भय  चिंता  असफलता लगी रहती है |




इस योग में राहु -केतु छठवे भाव से व्यय स्थान तक एवम सभी ग्रह इनके मध्य में तो यह योग बनता है |



फल -->यह योग व्यकित को रोगी बनाता है लाख इलाज करने पर भी कोई न कोई रोग लगा रहता है गुप्त शत्रु से कष्ट यात्रा अधिक बाधा पग पग लगी रहती है |








सप्तम से लग्न तक राहु -केतु एवम इनके मध्य सभी ग्रह होने से यह योग बनता है |


फल विवाह में बाधा  दाम्पत्य जीवन तनाव पूर्ण  ,वियोग ,प्रेममें  असफल बदनामी  बनते कार्यो में रुकावटपद में हानि  भागीदारी में धोखा होता है |








आठवे भाव से दुसरे भाव तक राहु केतु एवम इनके मध्य सभी ग्रह होने से यह योग बनता है |


फल -->बहुतपरिश्रम  करने पर भी उसका फल नहीं मिलता आत्मीय जन से सम्मान नहीं  मिलता ,दुर्घटना 



का भय आयु की निशिच्नता पर प्रश्न चिन्ह लगे रहते है पैसा डूब जाता है दुश्मन कई ,वाणी पर नियन्त्र नहीं |




नवम भाब से तीसरे भाब तक राहु -केतु एवम उनके मध्य  सभी ग्रह होने से यह योग बनता है |

फल -->भाग्य उदय में परेशानी तरक्की में बाधा ,मित्रो ,बहनों मामा पक्षसे अनबन  अकारणअदालतके  चक्कर आत्मबल  की कमी कष्ट परेशानी  अवनति|



दशम भाव से  चतुर्थ भाव तक राहु केतु व् इनके मध्य में सभी  ग्रह होने से यह योग बनता है |

फल -->व्यापार में  घाटा भागीदारी  में धोखा  मनमुटाव ,सरकारी अधिकारीयोंसे  अनबन सुख के  लियेसघर्स  परिवार में भूमि ,माकन आदि कारणों से बिखराव विग्रह  कष्ट होता है |






ग्यारहवे भाव से पंचम पर्यन्त राहु -केतु के  मध्य में सभी  ग्रह होने से यह योग बनता है |



फल -->धन के मामले में बदनामी परिवार में कलह ,लाभ के सघर्ष  सन्तान की बीमारी ,दादा -दादी ,नानी नाना से लाभ  के स्थान पर हानि कुटुंब  से झगड़े उच्च  शिक्षा में बाधा भय देखनेमें आते  है |





बारहवे भाव से छठे भाव पर्यन्त राहु -केतु के   मध्य में सभी  ग्रह होने से यह योग बनता है |


फल -->धन की भरी चिंता कर्ज मानसिकउधिग्रता  निराशा मेहनत  के बाद भी कार्यो में सफलता नहीं जन्म स्थान देश से दूर नेत्र पीड़ा अनिद्रा  रहस्य पूर्ण जीवन  मृत्यु के  बाद ख्याति मिलती है |


 नोट -..काल सर्प योग  भंग भी होता है  इसके लिए कुंडली  का देखना आवश्यक है |शांति के कुछ गुप्त प्रयोग आप स्वमेव करे |


सम्पर्क ->skyep  --->muktadixit1975






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