नदी से निकलते हैं ये चमत्कारी शिवलिंग, पाने वाले का खुलता है भाग्य
nrmda ji ke ye chamatakri shiv ling jo pane vale ka bhagya khukta hai
हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे
हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे हर नर्मदे
कुदरत को शिव का ही रूप माना गया है। यही वजह है कि शास्त्रों में भी प्राकृतिक शिवलिंग पूजा का बहुत महत्व है। वहीं स्वयंभू शिवलिंग पूजा में गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी है। ऐसे ही प्राकृतिक और स्वयंभू शिवलिंगों में प्रसिद्ध है - बाणलिंग। जानिए दर्शन भर से भाग्य संवारने वाले अद्भुत बाणलिंगों के बारे में वो खास बातें, जिनसे आप भी अनजान हैं- रअसल, पवित्र नर्मदा नदी के किनारे पाया जाने वाला एक विशेष गुणों वाला पाषाण ही बाणलिंग कहलाता है। बाणलिंग शिव का ही एक रूप माना जाता है। इसकी खास खूबी यही है कि यह प्राकृतिक रूप से ही बनता है। इसलिए यह स्वयंसिद्ध शिवलिंग माना जाता है और इनके केवल दर्शन भर ही भाग्य संवारने वाला बताया गया है। हालांकि बाणलिंग गंगा नदी में भी पाए जाते हैं, किंतु नर्मदा नदी में पाए जाने वाले बाणलिंगों के पीछे पौराणिक महत्व है। नर्मदा नदी व उसके नजदीक पाए जाने से बाणलिंग को नर्मदेश्वर लिंग भी पुकारा जाता है। इस बाणलिंग कहने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है।मान्यता है कि महादानी बलि के पुत्र बाणासुर ने इन लिंगों को पूजा के लिए बनाया था। उसने तप कर शिव को प्रसन्न किया और वरदान पाया कि शिव हमेशा लिंग रूप में इस पर्वत पर रहें। उसने ही नर्मदा नदी के तट पर स्थित पहाड़ों पर इन शिवलिंगों को विसर्जित किया था। बाद में यह बाणलिंग पहाड़ों से गिरकर नर्मदा नदी में बह गए। तब से ही इस नदी के किनारे यह बाणलिंग पाए जाते हैं। माना जाता है कि बाणलिंग की पूजा से हजारों शिवलिंग पूजा का पुण्य मिलता है। किंतु शास्त्रों में बताई गई कसौटी पर खरे उतरने वाले बाणलिंग ही शुभ फल देने वाले होते हैं। इस परीक्षा में वजन, रंग और आकृति के आधार पर गृहस्थ और संन्यासियों के लिए अलग-अलग बाणलिंग होते हैं।
बाणलिंग संगमरमर की तरह चमकदार, साफ, छेदरहित होते हैं। इसलिए वजन में भारी भी होते हैं। हालांकि नर्मदेश्वर या बाणलिंग को स्वयंभू शिवलिंग बताया गया है। इसलिए इसकी प्राण-प्रतिष्ठा के बगैर भी पूजा की जा सकती है। किंतु धर्म आस्था व परंपराओं में बाणलिंग मिलने के बाद यथाशक्ति उसका संस्कार कर वेदी पर रखा जा सकता है। इसमें गणेश पूजा, स्नान, ध्यान, सोलह पूजा सामग्रियों से पूजा की जाती है। शिव मंत्रों के जप और स्तुति के पाठ किए जाते हैं। बाणलिंग पूजा ज्ञान, धन, सिद्धि और ऐश्वर्य देती है।
गृहस्थ लोगों के लिए नर्मदेश्वर या बाणलिंग की पूजा मंगलकारी मानी गई है। शास्त्रों में इसके ऊपर चढ़ाया गई चीजें या नैवेद्य शिव निर्माल्य के तौर पर त्याग न कर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जा सकती हैं।
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