Thursday, 3 August 2017

भूलकर भी न करे इन 5 लोगों का अपमान होगा आपका नुकसान

भूलकर भी न करे  इन 5 लोगों का अपमान  होगा आपका  नुकसान



श्रीमद्भागवत महापुराण हिंदू धर्म ग्रंथों में एक ऐसा ग्रंथ है। जिसमें हमारे जीवन संबंधी कई समस्याओं के बारें में बताया गया है। इस ग्रंथ में खुद श्री कृष्ण ने नीति के उद्देश्य दिएं है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इन उपदेशों का पालन करता है। उन्हे अपने जीवन में किसी भी तरीके की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।इस महापुराण में ही ऐसे 5 काम के बारें में बताया गया है कि इन कामों को करना क्या इस बारें में सोचना भी महापाप माना जाता है। इससे आपका ही नुकसान होगा। जानिए ऐसे कौन सी 5 चीजे है जिनके बारें में सोचना भी महापाप है।
Image result for श्रीमद्भागवत महापुराणयदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।
धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।
इस श्लोक का अर्थ है कि जो व्यक्ति देवताओं, वेदों, गौ, ब्रह्माणों-साधुओं और धर्म के कामों के बारे में बुरा सोचता है। उसका जल्द ही नुकसान होता है।
देवताओं को न कहे अपशब्द
इस शास्त्र के अनुसार कभी भी खुद को भगवान से बड़ा और कभी भी भगवान को दुश्मन नहीं मानना चाहिए। क्योंकि आपको जिस बात का घमंड है वो कल आपके नाश का कारण बनेगा। जिस तरह से रावण ने देवताओं से दुश्मनी और खुद की शक्ति पर घमंड था।
वेद का अपमान
कभी भी हमें अपने वेदो का अपमान नहीं करना चाहिए। नहीं हमारे नाश का कारण बन जाते है। जैसे कि असुरों ने भगवान ब्रहमा को  परेशान कर उनके वेदो को छिनने की कोशिश की। जिसके बाद उन असुरों का नाश हुआ। इसीलिए किसी भी पुस्तक का अपमान नहीं करना चाहिए।
गौ माता का अपमान
हिंदू धर्म में गाय को माता के बराबर दर्जा दिया गया है। जो व्यक्ति सुबह उठकर गौ सेवा करता है। उसे मोझ की प्राप्ति होने के साथ-साथ सभी पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। वहीं अगर आपने इनका अपमान किया यानि की गौ-हत्या, अपहरण आदि किया जो इसका दंड बहुत ही कठोर होता है।
गुरु-ब्राह्मणों का अपमान
गुरु-ब्राह्मण हमारे पिता के समान होते है। इने भगवान का दूसरा रुप कहा गया है। अगर आप इनका अपमान करेगे तो आपका नाश का कारण बन सकता है। ऋषियों और साधुओं के मार्गदर्शन से मनुष्य की हर कठिनाई आसान हो जाती है और वह किसी भी मुसीबत का सामना बहुत ही आसानी से कर लेता है।
धर्म कर्म को न कहे भला-बरा
कभी भी धर्म-कर्म क गलत नहीं बोलना चाहिए। इससे आने वाले समय में आपको किसी भयानक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिस तरह धर्म कर्म के प्रति अश्वत्थामा की बहुत बुरी सोच थी। जिसके कारण उसे दर-दर भटकने और मुक्ति न मिलने का शाप मिला था। इसलिए कभी भी ऐसा काम न करें।

No comments:

Post a Comment