Saturday, 9 March 2013

parad shivling ke labha


           भगवान शिव का रूप है पारद शिवलिंग,





parad  shivling  ke labha







धर्मशास्त्रों में पारद शिवलिंग को साक्षात शिव का स्वरूप बताया गया है। महाशिवरात्रि (10 मार्च, रविवार) के दिन यदि पारद शिवलिंग की स्थापना व पूजन किया जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। इसके पूजन से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष तथा सभी मनोरथों की प्राप्ति होती है। ऐसा धर्म शास्त्रों में लिखा है। शिव महापुराण के अनुसार -
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।।
स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।

अर्थात- करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग की पूजा और दर्शन से प्राप्त होता है। पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है।- पारद की उत्पत्ति भगवान शंकर के वीर्य से हुई मानी जाती है इसीलिए धर्मशास्त्रों में इसे साक्षात शिव माना गया है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध होती है।- पारदलिंग का दर्शन महापुण्य दाता है। इसके दर्शन से सैकड़ों अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है। जिस घर में पारद शिवलिंग की नियमित पूजन होता है, वहां सभी प्रकार के लौकिक और पारलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है।- किसी भी प्रकार की कमी उस घर में नहीं होती, क्योंकि वहां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा वहां का वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है। प्रत्येक सोमवार को पारद शिवलिंग का अभिषेक-पूजन करने से तांत्रिक प्रयोग नष्ट हो जाते हैं।

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