chanakya niti
जिन लोगों के मन में पाप होता है उनसे बचकर रहना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
यस्माच्च प्रियमिच्छेत्तु तस्य ब्रूयात् सदा प्रियम्।
व्याधो मृगवधं गन्तुं गीतं गायति सुस्वरम्।।
इस शृलोक में आचार्य कहते हैं जिन लोगों के मन में पाप होता है उनसे बचकर रहना चाहिए। जो लोग हमारे सामने बहुत मीठा बोलते हैं, हितेषी बनते हैं लेकिन पीठ पीछे हमें नुकसान पहुंचाने या हमारा अनुचित फायदा उठाने की योजना बनाते रहते हैं उनसे बचना चाहिए।जंगल में कोई बहेलिया पक्षियों को अपने जाल में फंसाने के लिए मधुर गीत गाता है और पक्षी मीठी आवाज के कारण बहेलिए के जाल में फंस जाते हैं। इसी प्रकार हमें नुकसान पहुंचाने वाले लोग पहले बहुत मीठा-मीठा बोलते हैं, उनके मीठे व्यवहार में जो लोग फंस जाते हैं वे खुद का नुकसान कर बैठते हैं।
जिस प्रकार कोई सपेरा मधुर बीन बजाकर किसी भी सांप को अपने काबू में कर सकता है ठीक उसी प्रकार वे लोग जिनके मन में पाप होता है वे भी अपने शिकार को इसी तरह फंसते हैं।समझदार इंसान को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हमें किसी की मीठी बातों में नहीं फंसना चाहिए। व्यक्ति थोड़े से लालच में फंसकर बड़ी रकम भी खतरे में डाल देता है। कोई व्यक्ति जुएं में ज्यादा पैसा कमाने के लालच में अपनी पूंजी बर्बाद कर देता है। अत: किसी भी प्रकार के लोभ के वश में कोई कार्य नहीं करना चाहिए। किसी के झूठे मायाजाल में फंसकर केवल धन ही नहीं स्वयं के जीवन को भी संकट में डालना नहीं चाहिए।
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