Friday, 25 November 2016

व्यापार वृद्धि हेतु शुभ है लाल और पीले रंग का स्वस्तिक

व्यापार वृद्धि हेतु  शुभ है लाल और पीले रंग का स्वस्तिक


Image result for स्वस्तिकव्यापार वृद्धि हेतु : यदि आपके व्यापार या दुकान में बिक्री नहीं बढ़ रही है तो 7 गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां सुखी हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और उसकी पंचोपचार पूजा करें। धनलाभ हेतु : प्रतिदिन सुबह उठकर विश्वासपूर्वक यह विचार करें कि लक्ष्मी आने वाली हैं। इसके लिए घर को साफ-सुथरा करने और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद सुगंधित वातावरण कर दें। फिर भगवान का पूजन करने के बाद अंत में देहली की पूजा करें। शुभ है लाल और पीले रंग का स्वस्तिक : अधिकतर लोग स्वस्तिक को हल्दी से बनाते हैं। ईशान या उत्तर दिशा की दीवार पर पीले रंग का स्वस्तिक बनाने से घर में सुख और शांति बनी रहती है। यदि कोई मांगलिक कार्य..यदि कोई मांगलिक कार्य करने जा रहे हैं तो लाल रंग का स्वस्तिक बनाएं। इसके लिए केसर, सिंदूर, रोली और कुंकुम का  उपयोग करें। 

स्वस्तिक मे छिपा सम्पूर्ण सृष्‍टि रहस्य

स्वस्तिक मे छिपा सम्पूर्ण सृष्‍टि रहस्य


Image result for स्वस्तिकस्वस्तिक का अर्थ : स्वस्तिक शब्द को 'सु' एवं 'अस्ति' का मिश्रण योग माना जाता है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्ति' का अर्थ है- होना अर्थात 'शुभ हो', 'कल्याण हो'। स्वस्तिक अर्थात कुशल एवं कल्याण।   क्या है स्वस्तिक : स्वस्तिक में एक-दूसरे को काटती हुई 2 सीधी रेखाएं होती हैं, जो आगे चलकर मुड़ जाती हैं। इसके बाद भी ये रेखाएं अपने सिरों पर थोड़ी और आगे की तरफ मुड़ होती हैं। स्वस्तिक की यह आकृति दो..प्रकार की हो सकती हैं। प्रथम स्वस्तिक जिसमें रेखाएं आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दाईं ओर मुड़ती हैं। इसे 'दक्षिणावर्त स्वस्तिक' कहते हैं। दूसरी आकृति पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे बाईं ओर मुड़ती है इसे 'वामावर्त स्वस्तिक' कहते हैं। स्वस्तिक का आरंभिक आकार पूर्व से पश्चिम एक खड़ी रेखा और उसके ऊपर दूसरी दक्षिण से उत्तर आड़ी रेखा के रूप में तथा इसकी चारों भुजाओं के सिरों पर पूर्व से एक-एक रेखा जोड़ी जाती है। इसके बाद चारों  रेखाओं के मध्य में एक बिंदु लगाया जाता है।   स्वस्तिक को 7 अंगुल, 9 अंगुल या 9 इंच के प्रमाण में बनाए जाने का विधान है। मंगल कार्यों के अवसर पर पूजा स्थान और दरवाजे की चौखट पर स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।   मांगलिक प्रतीक : हिन्दू धर्म में स्वस्तिक को शक्ति, सौभाग्य, समृद्धि और मंगल का प्रतीक माना जाता है। घर के वास्तु को ठीक करने के लिए स्वस्तिक का प्रयोग किया जाता है। स्वस्तिक के  चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है। स्वस्तिक के प्रयोग से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है।   गणेशजी का प्रतीक : स्वस्तिक में भगवान गणेश और नारद की शक्तियां निहित हैं। स्वस्तिक को भगवान विष्णु और सूर्य का आसन माना जाता है। स्वस्तिक का बायां हिस्सा गणेश की शक्ति का स्थान 'गं' बीज मंत्र होता है।इसमें जो 4 बिंदियां होती हैं, उनमें गौरी, पृथ्वी, कच्छप और अनंत देवताओं का वास होता है। इस मंगल-प्रतीक का गणेश की उपासना, धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी के साथ बही-खाते की पूजा की परंपरा आदि में विशेष स्थान है।   स्वस्तिक की खड़ी रेखा सृष्‍टि की उत्पत्ति का प्रतीक है और आड़ी रेखा सृष्‍टि के विस्तार का प्रतीक है। स्वस्तिक का मध्य बिंदु विष्णु का नाभि कमल है तो 4 बिंदु चारों दिशाओं का। ऋग्वेद में स्वस्तिक  को सूर्य का प्रतीक माना गया है। दिशाओं का प्रतीक : स्वस्तिक सभी दिशाओं के महत्व को इंगित करता है। इसका चारों दिशाओं के अधिपति देवताओं- अग्नि, इन्द्र, वरुण एवं सोम की पूजा हेतु एवं सप्तऋषियों के आशीर्वाद को प्राप्त करने में प्रयोग..में प्रयोग किया जाता है।  चार वेद, पुरुषार्थ और मार्ग का प्रतीक : हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण 4 सिद्धांत धर्म, अर्थ काम और मोक्ष का प्रतीक भी माना जाता है। चार वेद का प्रतीक- ऋग्, यजु, साम और अथर्व। चार मार्ग ज्ञान, कर्म, योग और.भक्ति का भी यह प्रतीक है।जीवन चक्र और आश्रमों का प्रतीक : यह मानव जीवन चक्र और समय का प्रतीक भी है। जीवन चक्र में जन्म, जवानी, बुढ़ापा और मृत्य यथाक्रम में बालपन, किशोरावस्था, जवानी और बुढ़ापा शामिल है। यही 4 आश्रमों का क्रम.भी है- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।  युग, समय और गति का प्रतीक : स्वस्तिक की 4 भुजाएं 4 गतियों- नरक, त्रियंच, मनुष्य एवं देव गति की द्योतक हैं वहीं समय चक्र में मौसम और काल शामिल है। यही 4 युग का भी प्रतीक है-सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग।योग, जोड़ का प्रतीक : इसका आरंभिक आकार गणित के धन चिह्न के समान है अत: इसे जोड़ या मिलन का प्रतीक भी माना जाता है। धन के चिह्न पर एक-एक रेखा जोड़ने पर स्वस्तिक का निर्माण होता है।    

केरलीय प्रश्न विचार Kerala Prashan Astrology

केरलीय प्रश्न विचार Kerala Prashan Astrology 

अंको या या संख्या द्वारा प्रश्न विषयक विचार केरल प्रदेश में सर्वाधिक प्रचलित है,इसी कारण इस शास्र को केरलीय ज्योतिष मे नाम से जाना जाता है। इस पध्दति से सम्बन्धित अनेक ज्योतिष ग्रन्थ उपल्ब्ध हैं,जैसे केरल प्रश्न संग्रह केरलीय प्रश्न रत्न प्रश्नचूडामणि आदि।

प्रश्न कैसे जाना जाये?

पूछने वाला यदि सात्विक प्रवृत्ति का है,तो उससे किसी फ़ूल का नाम,अगर तेज तर्रार है तो किसी नदी का नाम,और व्यापारी है तो किसी देवता का नाम,और नौकरी पेशा करने वाला है तो उससे किसी फ़ल का नाम पूंछना चाहिये,कुच विद्वानो का मत है कि पूंछने वाला अगर सुबह को पूंछे तो किसी बालक के द्वारा किसी पेड का नाम जानना चाहिये,और दोपहर में किसी जवान आदमी से फ़ूल का नाम जानना चाहिये,शाम को किसी बूढे व्यक्ति से फ़ल का नाम जानना चाहिये। और हमारे अनुसार केवल प्रश्न पूंछने वाले से ही प्रश्न करना चाहिये,कि वह अपने प्रश्न का चिन्तन करते हुये अपने किसी भी इष्ट का नाम मन में रखे और फ़ूल नदी देवता फ़ल या वृक्ष का नाम ले,फ़िर उसके अनुसार अंक पिंड बनाकर प्रश्न संबन्धी विचार करना चाहिये।
एक समय में एक प्रश्न पर ही विचार करना चाहिये,हंसी मजाक या परीक्षा के लिये प्रश्न नही करना चाहिये,अन्यथा कालगति समय पर परेशान कर सकती है। केवल परेशानी में ही प्रश्न करने के बाद पूरा उत्तर मिल सकता है।

अंक पिंड बनाने के नियम

पेड या देवता जिसका भी नाम लें,उसे कागज पर लिख लें, तदोपरान्त स्वर व व्यंजन की संख्यानुसार उस नाम का पिंड बना लें,अंक पिंड के आधार पर ही प्रश्न के फ़ल का विचार किया जाता है। स्वर व व्यंजन के लिये प्रयुक्त संखा निम्न प्रकार समझें।

स्वर अंक चक्रम

स्वरअं
संख्या1221111815221832251925

व्यंजन अंक चक्रम

व्यंजनड.य़ं
संख्या1311213010152123262610
व्यंजनढ.
संख्या1322354514181713352718
व्यंजन
संख्या2627861613133526353512

उपरोक्त अक्षरों में यदि ऋ का प्रयोग किया जाये तो रि की भांति (र+इ) को मानना चाहिये। लृ का प्रयोग केवल वैदिक मंत्रों के अन्दर होता है, जिज्ञासा के अन्दर इस अक्षर का महत्व नही है।
स्वर और व्यंजनो के अंक चक्रों में उनके नीचे संख्या का मान दिया गया है,पूंछने वाले के द्वारा कहे गये फ़ल फ़ूल नदी फ़ल वृक्ष या देवता के नाम के स्वर और व्यंजनों को अलग अलग कर लेना चाहिये,इसके बाद उपरोक्त सारणी के द्वारा संख्या को लिखना चाहिये,और दोनो के जोड को जानकर वही अंक पिण्ड मानना चाहिये।
उदाहरण के लिये अगर किसी ने “गुलाब” का नाम लिया,यह फ़ूल का नाम है,इसके अंक पिंड बनाने के लिये इस प्रकार की क्रिया को करना पडेगा:-
ग+उ+ल+आ+ब = 21+15+13+21+26+12 = 108 संख्या पिंड गुलाब का माना जाता है। इस प्रकार से किसी भी नाम का अंक पिंड आसानी से आप बना सकते है।

प्रश्नों के प्रकार

केरलीय प्रश्न विचार के अन्दर विद्वानों ने उन्हे अनेक प्रकार से बांटा है,यहां पर अलग अलग प्रश्नों को हल करने के उद्देश्य से लिखा गया है,इनमें प्रश्नों के नौ प्रकार ही मुख्य हैं।
  1. लाभ हानि के प्रश्न – किसी भी देवता या फ़ल फ़ूल या वृक्ष के नाम का पिंड+42 के जोड में 3 का भाग,1 में लाभ,2 में बीच का और 3 में हानि जाननी चाहिये।
  2. जय और पराजय के प्रश्न- उपरोक्त प्रणाली के द्वारा पिंड+34 के जोड में 3 का भाग,1 बचे तो जय,2 बचे तो समझौता,और 3 बचे तो पराजय जाननी चाहिये।
  3. सुख दुख से जुडे प्रश्न – उपरोक्त तरीके की प्रणाली से पिंड बनाकर 38 जोड कर 2 भाग देना चाहिये,1 बचे तो सुख और 0 बचे तो दुख जानना चाहिये।
  4. आने जाने के प्रश्न – पिंड बनाकर 33 को जोडना चाहिये,3 का भाग देना चाहिये, 1 बचे तो आना जाना होगा, 2 बचे तो आना या जाना नही होगा, 0 बचे तो आना या जाना होगा लेकिन काम नही होगा।
  5. गर्भ और बिना गर्भ के प्रश्न – पूंछने वाले से उपरोक्त में किसी कारक (फ़ल फ़ूल या नदी पेड भगवान आदि) का नाम जानकर उसके पिंड बनाने चाहिये,फ़िर 26 जोड कर 3 का भाग देना चाहिये,यदि 1 बचता है तो गर्भ है,2 बचे तो गर्भ होने में संदेह है,और 3 बचे तो गर्भ नही है।
  6. पुत्र या कन्या जानने के प्रश्न – पूंछने वाले से उपरोक्त में किसी कारक (फ़ल फ़ूल या नदी पेड भगवान आदि) का नाम जानकर उसके पिंड बनाने चाहिये,फ़िर उसी पिंड में 3 का भाग देना चाहिये, 1 बचे तो पुत्र और 2 बचे तो पुत्री और 0 बचे तो गर्भपात समझना चाहिये।
  7. तेजी मंदी जानने के प्रश्न – जो भी अंक पिंड है उसमे तीन का भाग दीजिये,एक बचता है तो सस्ता यानी मंदी,और दो बचता है तो सामान्य,और तीन बचता है तो भाव चढेगा, यह बात शेयर बाजार के लिये भी जानी जा सकती है,इसमें शेयर के नाम का पिंड बनाकर उपरोक्त रीति से देखना पडेगा।
  8. विवाह वाले प्रश्न – इसमें वर और कन्या किसी भी पक्ष से उपरोक्त कारकों से कोई नाम जानकर उसके पिंड बना लेना चाहिये, उसके अन्दर आठ का भाग देना चाहिये, अगर एक बचता है तो आराम से विवाह हो जायेगा,दो बचता है तो प्रयत्न करने पर ही विवाह होगा, तीन में विवाह अभी नही होगा, चार में वर की तरफ़ से सवाल पर कन्या की और कन्या की तरफ़ सवाल जानने पर वर या कन्या के साथ कोई अपघात हो जायेगी, अथवा वर या कन्या के बारे में कोई गूढ बात आजाने पर विवाह नही हो पायेगा, पांच बचने पर उसके परिवार में कोई हादसा हो जाने से विवाह नही होगा, छ: बचने पर राजकीय बाधा सामने आने से विवाह नही होगा, सात बचने पर पिता को कष्ट होगा,आठ बचने पर विवाह तो होगा लेकिन संतान नही होगी,यह जानना चाहिये।
  9. जन्म मरण के प्रश्न- उपरोक्त कारकों से कोई भी कारक नाम पूंछने वाले से जानना चाहिये,जिसके बारे में जाना जा रहा है वह उसका खून का सम्बन्धी होना जरूरी है,उस कारक के पिंड बनाकर उसके अन्दर चालीस की संख्या को जोडना चाहिये,और तीन का भाग देना चाहिये, एक बचता है तो जीवन बाकी है, दो बचता है तो जीवन तो है,लेकिन कष्ट अधिक है, शून्य बचता है,तो भगवान का भरोसा कहना चाहिये,सीधे रूप में मृत्यु है ऐसा नही कहना चाहिये।

Thursday, 24 November 2016

नौकरी-रोजगार पाने का आसान मंत्र


नौकरी-रोजगार पाने का  आसान मंत्र

बात चाहे नौकरी-रोजगार पाने की हो या पाई हुई नौकरी का दायित्व बेहतर तरीके से निभाने की हो, श्रीरामचरितमानस का एक बेहद सरल मंत्र कारगर साबित हो सकता है. ऐसी मान्यता है कि मानस के मंत्र को बोलकर जपने से या मानसिक जाप करने से साधकों का कल्याण होता है. 
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मंत्र इस तरह है: 

'बिस्व भरन पोषन कर जोई, ताकर नाम भरत अस होई'
इस मन्त्र का 41 दिन 11 माला जाप करे राम दरबार की पूजा करके तो  नौकरी-रोजगार में सफलता मिलती है |

Sunday, 20 November 2016

तुलसी कौन थी

तुलसी कौन थी

tulsi kon thi 

Image result for तुलसीदलतुलसी एक लड़की थी जिसका नाम
वृंदा था राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु
जी की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा,पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षसकुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआथा.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप
जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठकर आपकी जीत के लिये
अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप
वापस नहीं आ जाते में अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर
पूजा में बैठ गयी,उनके व्रत के प्रभाव
से देवता भी जलंधर को ना जीत सके सारे देवता जब हारने लगे तो भगवान विष्णु जी के पास गये।
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप
ही हमारी मदद कर सकते है।
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा,युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काटकर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने
देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ,भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।
सभी देवता हाहाकार करने लगे
लक्ष्मी जी रोने लगे और
प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।
उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है,और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग
स्वीकार नहीं करुगा। तब से
तुलसी जी कि पूजा सभी करने
लगे। और तुलसी जी का विवाह
शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में
किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में
मनाया जाता है !

Wednesday, 16 November 2016

वार्षिक राशिफल- मीन राशि 2017

वार्षिक राशिफल- मीन राशि 2017

Meen Rashifal 2017



Image result for राशि मीन  संकेतमीन राशी वालो को चिन् में वर्धि धन हानि जब तक आपको नई नौकरी न मिले पुरानी नौकरी से इस्तीफ़ा देने के बारे में न सोचें। ऐसा करने से आपको अगली नौकरी के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है। दाम्पत्य जीवन में अनबन कठोर वचन बोलने से अपमान की प्राप्ति होगी शनि ऋण रोग शत्रु की वर्धि करे गा शुक्र शादी -विवाह  मंगल कार्यो के योग देगा वाहन सुख अगस्त के बाद भी सुखद परिणाम आएॅंगे।
यह वर्ष आपके लिए थोड़ा संघर्ष-प्रधानरहेगा । पारिवारिक जीवन में भी कुछ निराशा रह सकती है। परन्तु आप चिन्ता न करें, क्योंकि उचित व्यवहार और अच्छे विचारों के द्वारा आप इनसे उबर सकते हैं। इस समय कुछ भी करने से पहले पूरी एहतियात बरतें।  परेशानी चिन्ता का कारण बन सकती है। आपकी आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। नौकरी के शुरूआती दिनों में कुछ परेशानी हो सकती है  कारोबारीयों को माह अगस्त के बाद सफलता के योग बनेगे  नियम विरोधी कार्य न करे कष्ट होगा |शनि गुरु की शांति करावे |

वार्षिकराशिफल- कुम्भ राशिफल 2017

वार्षिकराशिफल- कुम्भ राशिफल 2017

 Kumbh Rashifal2017




Image result for राशि चिन्ह कुम्भइस वर्ष केतु आप को मान सम्मान में वर्धि धन पुत्रो के भाग्य में अचानक  शारीर में  चोट से कष्ट आखो में रोग आदि हो  प्रॉपर्टी संबंधी कार्यों में सफलता मिलेगी। व्यापारियों और बिज़नेस से जुड़े लोगों के लिए यह वर्ष उत्तम साबित हो सकता है। काम में ईमानदारी बरतें अन्यथा नुक़सान हो सकता है।नौकरी में तरक़्क़ी के भी योग हैं, इसलिए मेहनत करते रहें और निराश न हों। नई नौकरी की तलाश में लगे हुए युवाओं को इस वर्ष सफलता अवश्य मिलेगी। करियर में अच्छी शुरुआत मिलने की संभावना है। क़ानून, चिकित्सा, वाणिज्य आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा।लोहा भूमि मशीनरी पत्थर सीमेंट कोयला चमडा आदि से लाभ हो लेकिन कुछ अशुभ फल जेसे स्त्री से वैमनस्यता  व्यापर में परिवर्तन  धन हानि वन्धन शोक भय आदि हो |राहू गुरु का दान करे एव यंत्र की सेवा करे |