Tuesday, 8 November 2016

देवउठनी एकादशी में क्या करे जाने

देवउठनी एकादशी  में क्या करे जाने 

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दिवाली के 11 दिन बाद देव प्रबोधिनी उत्सव और तुलसी विवाह का मंगल अवसर आता है। इसी को देवउठनी ग्यारस कहते हैं। एकादशी को यह पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। देव प्रबोधिनी एकादशी का महत्व शास्त्रों में  उल्लेखित है। एकादशी व्रत और कथा श्रवण से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। 

* क्षीरसागर में शयन कर रहे श्री हरि विष्णु को जगाकर उनसे मांगलिक कार्यों केे आरंभ करने की प्रार्थना की जाती है। 

* देवउठनी ग्यारस पर मंदिरों व घरों में भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा-अर्चना की जातीहै। 
* मंडप में शालिग्राम की प्रतिमा एवं तुलसी का पौधा रखकर उनका विवाह कराया जाता है। 

* मंदिरों के व घरों में गन्नों के मंडप बनाकर श्रद्धालु भगवान लक्ष्मीनारायण का पूजन कर उन्हें बेर,चने की भाजी, आंवला.
* गोधूलि बेला में तुलसी विवाह करने का पुण्य लिया जाता है। 

* दीप मालिकाओं से घरों को रोशन किया जाता है और बच्चे पटाखे चलाकर खुशियां मनाते हैं।
  * इसके बाद मण्डप की परिक्रमा करते हुए भगवान से कुंवारों के विवाह कराने और विवाहितों के गौना कराने की प्रार्थना की जाती है। 

* प्रबोधिनी एकादशी के दिन शालिग्राम, तुलसी व शंख का पूजन करने से विशेषपुण्य की प्राप्ति होती है।  

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